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पंचांग के पंच अंगों के नाम
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[[चित्र:Tablas alfonsies.jpg|thumb|230px|अल्फ़ोंसीन तालिकाएँ, जो १३वीं शताब्दी के बाद यूरोप की मानक पंचांग बन गई]]
::''अगर आप हिन्दू पंचांग पर जानकारी ढूंढ रहें हैं, तो [[हिन्दू पंचांग]] का लेख देखिये''
'''पंचांग''' (<small>[[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]: ephemeris</small>) ऐसी तालिका को कहते हैं जो विभिन्न समयों या तिथियों पर आकाश में [[खगोलीय वस्तुओंवस्तु]]ओं की दशा या स्थिति का ब्यौरा दे। १) तिथि, २) वार, ३) नक्षत्र, ४) योग, तथा ५) करण यह पंचांग के पंच अंग हैं | [[खगोल शास्त्र|खगोलशास्त्र]] और [[ज्योतिषी]] में विभिन्न पंचांगों का प्रयोग होता है। इतिहास में कई संस्कृतियों ने पंचांग बनाई हैं क्योंकि सूरज, चन्द्रमा, तारों, नक्षत्रों और तारामंडलों की दशाओं का उनके धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन में गहरा महत्व होता था। सप्ताहों, महीनों और वर्षों का क्रम भी इन्ही पंचांगों पर आधारित होता था। उदाहरण के लिए [[रक्षाबन्धन|रक्षा बंधन]] का त्यौहार श्रवण के महीने में पूर्णिमा (पूरे चंद की दशा) पर मनाया जाता था।<ref name="ref75humev">[http://books.google.com/books?id=zWG64bgtf3sC Encyclopaedia of Hinduism: C-G, Volume 2], Sunil Sehgal, pp. 536, Sarup & Sons, 1999, ISBN 978-81-7625-064-1, ''... Raksha Bandhan The festival of Raksha Bandhan is observed on the full moon day of Shravana (July- August) ...''</ref>
 
== पंचांगों का इतिहास ==
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* १४९६ ई - [[पुर्तगाल]] के अब्राऊं बेन सामुएल ज़ाकुतो का 'अल्मनाक पेरपेतूम'
* १५०८ ई - यूरोपीय खोजयात्री [[क्रिस्टोफ़र कोलम्बस]] द्वारा जर्मन खगोलशास्त्री रेजियोमोंतानस के पंचांग का प्रयोग करके जमैका के आदिवासियों के लिए चाँद ग्रहण की भविष्यवाणी, जिस से वे अचम्भित रह गए
* १५५१ ई - [[निकोलस कोपरनिकस|कोपरनिकस]] की अवधारणाओं पर आधारित एराज़मस राइनहोल्ड की 'प्रूटेनिक तालिकाएँ', जो यूरोप का नया मानक पंचांग बन गई
* १५५४ ई - योहानेस स्टाडियस ने अपनी कृति में ग्रहों की स्थितियों की भविष्यवानियाँ करीं लेकिन उनमें कई ग़लतियाँ थी
* १६२७ ई - [[योहानेस केप्लर]] की 'रूदोल्फ़ीन तालिकाएँ' नया यूरोपीय मानक बन गई