"अवंती": अवतरणों में अंतर
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'''अवंती''' [[मालवा|मालव जनपद]] का प्राचीन नाम, जिसका उल्लेख [[महाभारत]] में भी हुआ है। अंवतिनरेश ने युद्ध में कौरवों की सहायता की थी। वस्तुत: यह आधुनिक मालवा का पश्चिमी भाग है जिसकी राजधानी [[उज्जैन|उज्जैन]] थी, जिस राजधानी का दूसरा नाम स्वयं अवंती भी था। पौराणिक हैहयों ने उसी जनपद की दक्षिणी राजधानी माहिष्मती (मांधाता) में राज किया था। सहस्रबाहु अर्जुन वहीं का राजा बताया जाता है। बुद्ध के जीवनकाल में अवंती विशाल राज्य बन गया और वहाँ प्रद्योतों का कुल राज करने लगा। उस कुल का सबसे शक्तिमान् राजा चंड प्रद्योत महासेन था जिसने पहले तो वत्स के राजा उदयन को कपटगज द्वारा बंदी कर लिया, पर जिसकी कन्या [[वासवदत्ता]] का उदयन ने हरण किया। अवंती ने वत्स को जीत लिया था, पंरतु बाद उसे स्वयं मगध की बढ़ती सीमाओं में समा जाना पड़ा। [[बिन्दुसार|बिंदुसार]] और [[अशोक]] के समय अवंती साम्राज्य का प्रधान मध्यवर्ती प्रांत था जिसकी राजधानी उज्जयिनी में मगध का प्रांतीय शासक रहता था। अशोक स्वयं वहाँ अपनी कुमारावस्था में रह चुका था। उसी जनपद में विदिशा में शुंगों की भी एक राजधानी थी जहाँ सेनापति पुष्यमित्र शुंग का पुत्र राजा अग्निमित्र शासन करता था। जब मालव संभवत: [[सिकंदर]] और [[चन्द्रगुप्त|चंद्रगुप्त]] की चोटों से रावी के तट से उखड़कर जयपुर की राह दक्षिण की ओर चले थे, तब अंत में अनुमानत: शकों को हराकर अवंती में ही बस गए थे और उन्हीं के नाम से बाद में अवंती का नाम मालवा पड़ा।
[[श्रेणी:भारत का प्राचीन भूगोल]]
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