"ज्योतिरादित्य सिंधिया": अवतरणों में अंतर

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'''ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया''' (जन्म १ जनवरी १९७१) [[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/the-most-haunted-places-in-india.html भारत सरकार]] की [[पंद्रहवीं लोकसभा]] के [[पंद्रहवीं लोकसभा का मंत्रिमंडल|मंत्रिमंडल]] में [[वाणिज्यhttps://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/the-most-haunted-places-in-india.html एवं उद्योग राज्यमंत्री, भारत सरकार|वाणिज्य एवं उद्योग राज्यमंत्री]] है। श्री [https://newsscams.com/topic/jyotiraditya-scindia-samachar/ सिंधिया] लोकसभा की [[मध्य प्रदेश]] स्थित [[गुना लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र|गुना]] संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व करते थे। ज्योतिरादित्य अब [https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/the-most-haunted-places-in-india.html भारतीय जनता पार्टी](Bharatiya Janta Party) BJP से सम्बन्ध रखते हैं। उन्होंने 11 मार्च 2020 को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के नेतृत्व में भाजपा का दामन थामा ....
 
ज्योतिरादित्य सिंधिया मनमोहन सिंह के सरकार में केन्द्रीय मंत्री रहे हैं यह गुना शहर से कांग्रेस के विजयी उम्मीदवार रहे हॆं। इनके पिता स्व.श्री माधवराव सिन्धिया जी भी गुना से कांग्रेस के विजयी उम्मीदवार रहे थे। ज्योतिरादित्य सिंधिया 2019 लोकसभा चुनाव में गुना सीट से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा लेकिन इस बार उन्हें हार का सामना करना पङा।इन्होंने 9/3 /2020 को कांग्रेस से इस्तीफा दिया<ref>{{Cite web|url=https://www.amarujala.com/india-news/who-is-jyotiraditya-scindia-family-political-history-madhya-pradesh-crisis-kamal-nath-bjp-congress|title=कौन हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया, 'राजमाता' से अब तक ऐसा रहा परिवार का राजनीतिक सफर|last=|first=|date=|website=|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref>
 
==[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/the-most-haunted-places-in-india.html पारिवारिक जीवन]==
माधवराव सिंधिया के बेटे हैं ज्योतिरादित्य,लगातार 9 बार सांसद रहे माधवराव ने 1971 में पहली बार 26 साल की उम्र में गुना से चुनाव जीता था। वे कभी चुनाव नहीं हारे। उन्होंने यह चुनाव जनसंघ की टिकट पर लड़ा था। आपातकाल हटने के बाद 1977 में हुए आम चुनाव में उन्होंने निर्दलीय के रूप में गुना से चुनाव लड़ा था। जनता पार्टी की लहर होने के बावजूद वह दूसरी बार यहां से जीते। 1980 के चुनाव में वह कांग्रेस में शामिल हो गए और तीसरी बार गुना से चुनाव जीत गए। 1984 में कांग्रेस ने अंतिम समय में उन्हें गुना की बजाय ग्वालियर से लड़ाया था। यहां से उनके सामने पूर्व प्रधानमंत्री [https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/the-most-haunted-places-in-india.html अटल बिहारी वाजपेयी] मैदान में थे। उन्होंने वाजपेयी को भारी मतों से हराया था।
[https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/the-most-haunted-places-in-india.html आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी] में की पढ़ाई महाराज माधवराव सिंधिया का जन्म 10 मार्च 1945 को हुआ था। माधवराव राजमाता विजयाराजे सिंधिया और जीवाजी राव सिंधिया के पुत्र थे। माधवराव ने सिंधिया स्कूल से शिक्षा हासिल की थी। उसके बाद वे ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी पढ़ने चले गए। माधवराव सिंधिया का नाम MP के चुनिंदा राष्ट्रीय राजनीतिज्ञों में काफ़ी ऊपर लिया जाता था। माधवराव राजनीति के लिए ही नहीं बल्कि कई अन्य रुचियों के लिए भी विख्यात थे। क्रिकेट, गोल्फ, घुड़सवारी जैसे शौक के चलते ही वे अन्य नेताओं से अलग थे।
 
उनकी मां भी आठ बार रही सांसद ग्वालियर के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया से उनका विवाह 21 फरवरी 1941 को हुआ था। पति के निधन के बाद वे राजनीति में सक्रिय हुई थी और 1957 से 1991 तक आठ बार ग्वालियर और गुना से सांसद रहीं। 25 जनवरी 2001 में उन्होंने अंतिम सांस लीं।
ग्वालियर राजघराने की राजमाता विजयाराजे सिंधिया की एक वसीयत ने सभी को चौंका दिया था। उन्होंने अपनी वसीयत में राजघराने की संपत्ति का बंटवारा नहीं किया था, उसमें लिखा था कि मेरा बेटा मेरा अंतिम संस्कार नहीं करेगा।
विजयाराजे सिंधिया अपने ही इकलौते पुत्र कांग्रेस नेता रहे माधवराव सिंधिया से बेहद खफा थीं। कहा जाता था कि विजयाराजे का सार्वजनिक जीवन जितना ही प्रभावशाली और आकर्षक था, उनका व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन उतना ही मुश्किलों भरा था। राजमाता का देहांत 25 जनवरी 2001 को हो गया था। इसके बाद कुछ माह बाद ही 30 सितम्बर 2001 को उत्तरप्रदेश के मैनपुरी में हेलीकाप्टर दुर्घटना में माधवराव सिंधिया की मौत हो गई थी।
आखिर राजमाता को ऐसा क्यों लिखना पड़ा। उनके एकमात्र बेटे माधवराव सिंधिया से उनके संबंध क्यों खराब हो गए थे। [https://www.thekahaniyahindi.com/2020/03/the-most-haunted-places-in-india.html राजमाता विजयाराजे सिंधिया] की पुण्य तिथि 25 जनवरी पर आपको बताने जा रहा है ग्वालियर राजघराने के कुछ किस्से....।
 
क्यों कहा था- बेटा नहीं करेगा अंतिम संस्कार
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[[श्रेणी:जीवित लोग]]
[[श्रेणी:सिंधिया परिवार]]
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