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संयुक्त परिवार वह होता हैं जिनमे साधनो का सांप्रदायिक प्रयोग करते है, जैसे एक विवाहित जोड़ा जब अपने माता-पिता और कभी कभी भाई बहेनो के साथ रहते हैं।
भारत में संयुक्त परिवार एक परंपरा है। अभी भी देश के बहुत जगाओं में संयुक्त परिवार मौजूद है। बड़े बड़े शहरों को छोड़ के सारे गांवों में और सारे छोटे शहरों में संयुक्त परिवार ही मौजूद है। ऐसे परिवार एक कुलपति के नेतृत्व में होते हैं। वो पुरुष सभी निर्णय करता है। पारिवारिक आय उनकी नियंत्रण में हैं। कुलपति की धर्मपत्नी पारिवारिक निर्णय लेने मैं सक्षम होती है। शहरीकरण और आर्थिक विकास के कारण भारत में संयुक्त परिवारों कम होते जा रहें है। [3]
कभी कभी एक ही कुटुंब मैं कई पीढ़ियों के लोग एक साथ रहते पाये जाते हैं। कुछ समाजों में संयुक्त परिवारों को एकल परिवारों से बेहतर माना जाता है क्योंकि इन परिवारों में एकजुटता का भाव ज़्यादा होता है, और साथ ही साथ [[संस्कृति|सांस्कृतिक]] नियमो और मूल्यों का बेहतर तरीके से प्रचरन होता है। संयुक्त परिवारों में परिवार के संबंधों को वैवाहिक संबंधों की तुलना में अधिक महत्व दिया जाता हैं।
 
एक संयुक्त परिवार में आम तौर पर एक कुलपति (सबसे बुज़ुर्ग नर) का नेतृत्व होता है। इस व्यवस्था को पितृसत्ता कहते हैं। ऐसे घरों में पुरुष प्रधान होता है, वो परिवार का पालन पोषण करता है। संयुक्त परिवारों के मुकाबले में एकल परिवारों में पित्तृसत्ता की अभिव्यक्त्ति जोड़े कम पाए जाते हैं। [4]