मौत शब्द के बदले देह त्याग लिखा।
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'''दसम ग्रन्थ''', [[सिख धर्म|सिखों]] का धर्मग्रन्थ है जो [[गुरु गोबिन्द सिंह|सतगुर गोबिंद सिंह]] जी की पवित्र वाणी एवं रचनाओ का संग्रह है।
 
गुरु गोबिंद सिंह जी ने अपने जीवनकाल में अनेक रचनाएँ की जिनकी छोटी छोटी पोथियाँ बना दीं। उनके देह त्यागने के बाद उनकी धर्म पत्नी [[माता सुन्दरी]] की आज्ञा से [[भाई मणी सिंह]] खालसा और अन्य [[ख़ालसा|खालसा]] भाइयों ने गुरु गोबिंद सिंह जी की सारी रचनाओ को इकठा किया और एक जिल्द में चढ़ा दिया जिसे आज "दसम ग्रन्थ" कहा जाता है। सीधे शब्दों में कहा जाये तो गुरु गोबिंद सिंह जी ने रचना की और खालसे ने सम्पादना की। दसम ग्रन्थ का सत्कार सारी सिख कौम करती है।
 
दसम ग्रंथ की वानियाँ जैसे की जाप साहिब, तव परसाद सवैये और चोपाई साहिब सिखों के रोजाना सजदा, नितनेम, का हिस्सा है और यह वानियाँ खंडे बाटे की पहोल, जिस को आम भाषा में ''अमृत छकना'' कहते हैं, को बनाते वक्त पढ़ी जाती हैं। तखत [[हजूर साहिब]], तखत [[पटना]] साहिब और [[निहंग]] सिंह के गुरुद्वारों में दसम ग्रन्थ का गुरु ग्रन्थ साहिब के साथ परकाश होता हैं और रोज़ हुकाम्नामे भी लिया जाता है।
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* [[जाप साहिब]]
* [[अकाल उसतति]]
* [[बिचित्र नाटक|बचित्र नाटक]]
* [[चण्डी चरित्र|चंडी चरित्र उक्ति बिलास]]
* [[चंडी चरित्र भाग दूसरा]]
* [[चंडी दी वार|चंडी की वार]]
* [[ज्ञान परबोध]]
* [[चौबीस अवतार]]
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* [[शास्त्र नाम माला]]
* [[अथ पख्यान चरित्र लिख्यते]]
* [[ज़फ़रनामा|ज़फरनामा]]
* [[हिकायतें]]
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पोंटा साहिब में गोबिंद सिंह ने रचना का कार्य शुरू किया। पूर्व सत्गुरुओं की वाणी का निचोड़, सतगुर गोबिंद सिंह जी ने [[जाप साहिब]] बानी में ढाला, जिसमे निरंकार के अनेक नाम लिखे। फिर अकाल पुरख की उसतति में बानी लिखी।
[[आनन्दपुर साहिब|आनंदपुर साहिब]] में, बचित्र नाटक रचना, में गुरु साहिब ने अपनी ज़िन्दगी के कुछ अंश लिखे और प्रथम सत्गुरुओं की और अपनी आत्मिक वंशावली का ज़िक्र किया।
 
चंडी को "आदि शक्ति" रूप में समझा और ''इस्त्री एवम मूर्ती'' रूप की मान्यता को खत्म करने के लिए चंडी चरित्र नामक चार रचनाए की जो दसम ग्रंथ में दर्ज हैं। एक रचना [[मारकंडे पुराण]] को आधार बना कर किया। यही नहीं, उस समे के पंडित/विदवान नीची जाती को ज्ञान नहीं देते थे, इस चीज़ को म्दते नजर रखते हुए, विष्णु, ब्रह्मा और रूद्र के अवतारों की कथा सतगुर ने [[पोंटा साहिब]] में लिखी और कुछ आनंदपुर साहिब में लिखी और इन कथाओं को गुरमत के दृष्टिकोण में सांचा। इन कारणों के चलते पहाड़ी राजे ([[क्षत्रिय]]) और ब्रह्मिन, सतगुर गोबिंद सिंह से इर्षा करने लग पढ़े और सरकार को उन के खिलाफ भडकाना शुरू कर दिया। कटड़ मुसलमानों को भी पता चला की गोबिंद सिंह ने अपनी वाणी में मुसलमानों के ऊपर भी टिप्णी की है वो भी खिलाफ हो गए।
 
अथ पख्यान चरित्र लिख्यते में चतुर महिलाओं और पुरुषों के चरित्र लिखे की कैसे यह संसार इर्षा, द्वेष, काम और अन्य विकारों से ग्रसित है। यह वाणी आनंदपुर साहिब में समाप्त की। औरंगजेब को उसकी सचाई का ज्ञान गुरु साहिब ने [[ज़फ़रनामा|ज़फरनामा]] में दिलाया की वेह एक बुधिमान राजा नहीं है और न्याय करने में सक्षम नहीं है यही नहीं वो कुरान शरीफ की झूटी कसमे खाना वाला गैर मुसलमान है। यह पत्र सतगुर ने दीना, मालवा पंजाब में लिखा। इसके इलावा शास्त्र नाम माला में शस्त्रों को अध्यात्मिक शैली में सींचा और ३३ सवैये में रस्मो और मान्यताओं पर चोट मारी।
 
अपनी रचनाओ की पोथियाँ बनाई और लिखारिओं ने इन रचनाओ की कई नकले तैयार कीं और आम संगत में यह रचनाए फ़ैल गईं। तद पश्चात [[आनंदपुर की जंग]], [[चमकौर की जंग]], [[मुक्तसर की जंग]] और बहादुर शाह की मदत के बाद हजुर साहिब, नांदेड में शरीर त्याग दिया।