"सुखदेव": अवतरणों में अंतर

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'''सुखदेव''' ([[पंजाबी]]: ਸੁਖਦੇਵ ਥਾਪਰ, जन्म: [[१५ मई|15 मई]] [[१९०७|1907]] मृत्यु: [[२३ मार्च|23 मार्च]] [[१९३१|1931]]) का पूरा नाम '''सुखदेव थापर''' था। लेकिन उन्होंने कभी भी अपने नाम के साथ थापर नहीं लिखा। यह दावा शहीद भगत सिंह के भान्जे प्रोफेसर जगमोहन सिंह ने भी किया।उन्होंने बताया की सुखदेव ने हमेशां अपने नाम सुखदेव को ही लिखा और कभी भी जाति का ज़िक्र नहीं किया।इसी तरह राजगुरु और टी सिंह ने भी अपनी जाति का उल्लेख अपने नाम के साथ कभी नहीं किया।[[भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन|भारतीय स्वतंत्रता संग्राम]] के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे। उन्हें [[भगत सिंह]] और [[राजगुरु]] के साथ २३ मार्च १९३१ को फाँसी पर लटका दिया गया था। इनकी शहादत को आज भी सम्पूर्ण [[भारत]] में सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। सुखदेव [[भगत सिंह]] की तरह बचपन से ही आज़ादी का सपना पाले हुए थे। ये दोनों 'लाहौर नेशनल कॉलेज' के छात्र थे। दोनों एक ही सन में लायलपुरपंजाब में पैदा हुए और एक ही साथ शहीद हो गए।<ref>{{cite book |last=Noorani |first=Abdul Gafoor Abdul Majeed |title=The Trial of Bhagat Singh: Politics of Justice |publisher=Oxford University Press |year=2001 |origyear=1996 |isbn=0195796675}}</ref>
 
== व्यक्तिगत जीवन ==