"भारतीय संगीत": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Indischer Maler um 1750 (III) 001.jpg|right|thumb|300px|संगीत का रसास्वादन करती हुए एक स्त्री (पंजाब १७५०)]]
 
'''भारतीय संगीत''' प्राचीन काल से [[भारत]] मे सुना और विकसित होता [[संगीत]] है। इस संगीत का प्रारंभ [[वैदिक सभ्यता|वैदिक काल]] से भी पूर्व का है। इस संगीत का मूल स्रोत [[वेद|वेदों]] को माना जाता है। [[हिन्दू धर्म|हिंदु]] परंपरा मे ऐसा मानना है कि [[ब्रह्मा]] ने [[नारद]] मुनि को संगीत वरदान में दिया था।
 
पंडित शारंगदेव कृत "संगीत रत्नाकर" ग्रंथ मे भारतीय संगीत की परिभाषा "गीतम, वादयम् तथा नृत्यं त्रयम संगीतमुच्यते" कहा गया है। गायन, वाद्य वादन एवम् नृत्य; तीनों कलाओं का समावेश संगीत शब्द में माना गया है। तीनो स्वतंत्र कला होते हुए भी एक दूसरे की पूरक है। भारतीय संगीत की दो प्रकार प्रचलित है; प्रथम कर्नाटक संगीत, जो दक्षिण भारतीय राज्यों में प्रचलित है और हिन्दुस्तानी संगीत शेष भारत में लोकप्रिय है। भारतवर्ष की सारी सभ्यताओं में संगीत का बड़ा महत्व रहा है। धार्मिक एवं सामाजिक परंपराओं में संगीत का प्रचलन प्राचीन काल से रहा है। इस रूप में, संगीत भारतीय संस्कृति की आत्मा मानी जाती है। वैदिक काल में अध्यात्मिक संगीत को मार्गी तथा लोक संगीत को 'देशी' कहा जाता था। कालांतर में यही शास्त्रीय और लोक संगीत के रूप में दिखता है।
 
वैदिक काल में [[सामवेद संहिता|सामवेद]] के मंत्रों का उच्चारण उस समय के [[वैदिक सप्तक]] या सामगान के अनुसार सातों स्वरों के प्रयोग के साथ किया जाता था। गुरू-शिष्य परंपरा के अनुसार, शिष्य को गुरू से वेदों का ज्ञान मौखिक ही प्राप्त होता था व उन में किसी प्रकार के परिवर्तन की संभावना से मनाही थी। इस तरह प्राचीन समय में वेदों व संगीत का कोई लिखित रूप न होने के कारण उनका मूल स्वरूप लुप्त होता गया।
 
== भारतीय संगीत के सात स्वर ==
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* [[षड्ज]] (सा)
* [[ऋषभ]] (रे)
* [[गांधार (जनपद)|गंधार]] (ग)
* [[मध्यम]] (म)
* [[पंचम]] (प)
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'''भारतीय शास्त्रीय संगीत''' की दो प्रमुख पद्धतियां हैं -
:[[हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत|हिन्दुस्तानी संगीत]] - जो उत्तर भारत में प्रचलित हुआ।
:[[कर्नाटक संगीत]] - जो दक्षिण भारत में प्रचलित हुआ।
 
हिन्दुस्तानी संगीत मुगल बादशाहों की छत्रछाया में विकसित हुआ और कर्नाटक संगीत दक्षिण के मन्दिरों में। इसी कारण दक्षिण भारतीय कृतियों में भक्ति रस अधिक मिलता है और हिन्दुस्तानी संगीत में श्रृंगार रस।
 
'''उपशास्त्रीय संगीत''' में [[ठुमरी]], [[टप्पा]], [[छत्तीसगढ़ की होरी|होरी]], कजरी आदि आते हैं।
 
'''सुगम संगीत''' जनसाधारण में प्रचलित है जैसे -