"मुक्तक": अवतरणों में अंतर
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'''मुक्तक''' [[काव्य]] या [[काव्य|कविता]] का वह प्रकार है जिसमें प्रबन्धकीयता न हो। इसमें एक छन्द में कथित बात का दूसरे छन्द में कही गयी बात से कोई सम्बन्ध या तारतम्य होना आवश्यक नहीं है। [[
मुक्तक शब्द का अर्थ है '''‘अपने आप में सम्पूर्ण’''' अथवा ‘'''अन्य निरपेक्ष वस्तु’''' होना. अत: मुक्तक काव्य की वह विधा है जिसमें कथा का कोई पूर्वापर संबंध नहीं होता. प्रत्येक छंद अपने आप में पूर्णत: स्वतंत्र और सम्पूर्ण अर्थ देने वाला होता है.
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