"मिहिरकुल": अवतरणों में अंतर

Sanjeev bot द्वारा सम्पादित संस्करण 2804459 पर पूर्ववत किया: Restore last good version। (ट्विंकल)
टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना
छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है
पंक्ति 1:
'''मिहिरकुल''' ([[चीनी]]: 大族王, [[जापानी भाषा|जापानी]]: दाइज़ोकु-ओ) भारत में एक ऐतिहासिक श्वेत हुण शासक था। ये [[तोरामन]] का पुत्र था। तोरामन भारत में हुण शासन खा संस्थापक था। मिहिरकुल [[५१०]] ई. में गद्दी पर बैठा। [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] में मिहिरकुल का अर्थ है - 'सूर्य के वंश से', अर्थात सूर्यवंशी।
 
मिहिरकुल का प्रबल विरोधी नायक था [[यशोधर्मन]]। कुछ काल के लिए अर्थात् 510 ई. में एरण (तत्कालीन [[मालवा]] की एक प्रधान नगरी) के युद्ध के बाद से लेकर लगभग 527 ई. तक, जब उसने मिहिरकुल को [[गंगा नदी|गंगा]] के कछार में भटका कर क़ैद कर लिया था, उसे तोरमाण के बेटे मिहिरकुल को अपना अधिपति मानना पड़ा था। क़ैद करके भी अपनी माँ के कहने पर उसने हूण-सम्राट को छोड़ दिया था। इधर-उधर भटक कर जब मिहिरकुल को काश्मीर में शरण मिली तो सम्भवतः आर्यों ने सोचा होगा कि चलो हूण सदा के लिए परास्त हो गये। परन्तु मिहिरकुल चुप बैठने वाला नहीं था। उसने अवसर पाते ही अपने शरणदाता को नष्ट करके काश्मीर का राज्य हथिया लिया। ‘‘तब फिर उसने गांधार पर चढ़ाई की और वहाँ जघन्य अत्याचार किये। हूणों के दो तीन आक्रमणों से तक्षशिला सदा के लिए मटियामेट हो गया।
 
कुछ इतिहासकार मानते हैं कि मालवा के राजा यशोधर्मन और मगध के राजा बालादित्य ने हूणों के विरुद्ध एक संघ बनाया था और भारत के शेष राजाओं के साथ मिलकर मिहिरकुल को परास्त किया था। यह बात अब असत्य प्रमाणित हो चुकी है। हूणों की एक विशाल सेना ने मिहिरकुल के नेतृत्व में आक्रमण किया। मिहिरकुल के नेतृत्व में हूण पंजाब, मथुरा के नगरों को लूटते हुए, ग्वालियर होते हुए मध्य भारत तक पहुँच गये। [२] इस समय उन्होंने मथुरा के समृद्विशाली और सांस्कृतिक नगर को जी भर कर लूटा। मथुरा मंडल पर उस समय गुप्त शासन था। गुप्त शासकों की ओर नियुक्त शासक हूणों के आक्रमण से रक्षा में असमर्थ रहा। गुप्तकाल में मथुरा अनेक धर्मो का केन्द्र था और धार्मिक रुप से प्रसिद्व था। मथुरा में बौद्व, जैन और हिन्दू धर्मो के मंदिर, स्तूप, संघाराम और चैत्य थे। इन धार्मिक संस्थानों में मूर्तियों और कला कृतियाँ और हस्तलिखित ग्रंथ थे। इन बहुमूल्य सांस्कृतिक भंडार को बर्बर हूणों ने नष्ट किया। यशोधर्मन और मिहिरकुल का युद्ध सन् 532 से कुछ पूर्व हुआ होगा, पर इतिहासकार मानते हैं कि मिहिरकुल उसके 10-15 वर्ष बाद तक जीवित रहा। उसके मरने पर हूण-शक्ति टूट गयी। धीरे-धीरे हूण हिन्दू समाज में घुलमिल गये और आज की हिन्दू जाति के अनेक स्तर हूणों की देन हैं।