"कारणता": अवतरणों में अंतर

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(3) '''निमित्त कारण''' समवायि कारण में गति उत्पन्न करता है जिससे कार्य की उत्पत्ति होती है। कुम्हार घड़े का निमित्त है क्योंकि वही उपादान से घड़े का निर्माण करता है। समवायि और असमवायि से भिन्न अन्यथासिद्धशून्य सभी कारण निमित्त कारण कहे जते हैं।
 
[[अरस्तु|अरस्तू]] के अनुसार कारण की चौथी विधा भी होती है जिसे प्रयोजक (फ़ाइनल) कारण कहता है। जिस उद्देश्य से कार्य का निर्माण होता है वह उद्देश्य भी कार्य का कारण होता है। पानी रखने के लिए घड़े का निर्माण होता है अत: वह उद्देश्य घड़े का प्रयोजक कारण है। इस चौथी विधा का निमित्त में ही समावेश हो सकता है।
 
== कारण के बारे में सिद्धान्त ==
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* [[उदयनाचार्य|उदयन]] : किरणावली;
* [[वाचस्पति मिश्र|वाचस्पति]] : सांख्यतत्त्वकौमुदीय;
* [[सर्वपल्लीसर्वेपल्लि राधाकृष्णन|राधाकृष्णन]] : इंडियन फ़िलासफ़ी, 2 भाग;
* शान्तरक्षित : तत्त्वसंग्रह