"मंदर पर्वत": अवतरणों में अंतर
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हिन्दू मान्यताओं के अनुसार [[समुद्र मन्थन|समुद्र मंथन]] में देवताओं ने '''मन्दराचल''' (मंदार पर्वत) को मथनी बनाया था। सदियों से खड़ा मंदार आज भी लोगों की आस्था का पर्वत है। इसे '''मंदराचल''' या मंदार पर्वत''' भी कहते हैं। यह बांका जिला में अवस्थित है।'''
[[चित्र:Kurma, the tortoise incarnation of Vishnu.jpg|center|600px|thumb|मन्दर पर्वत को मथनी बनाकर समुद्र को मथते हुए देवता और दानव]]
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== पर्व ==
[[मकर संक्रान्ति|मकर संक्रांति]] के दिन मंदार पर्वत की तलहट्टी में उपस्थित पापहरणि तालाब का महत्व तो कुछ और है। लोकमान्यता है कि इस तालाब में स्नान करने से कुष्ठ रोग से मुक्ति मिलती है। लोग मकर संक्रांति के दिन अवश्य यहां स्नान करते हैं। जगह-जगह जल रही आग का लुत्फ उठाते हैं। उसके बाद भगवान मधुसूदन की पूजा अर्चना करते हैं। दही-चूड़ा और तिल के लड्डू विशेष रूप से खाए जाते हैं।
== इतिहास और पर्यटन ==
पुरातत्ववेत्ताओं के मुताबिक मंदार पर्वत की अधिकांश मूर्तियां उत्तर [[गुप्त राजवंश|गुप्त काल]] की हैं। उत्तर गुप्त काल में [[मूर्ति कला|मूर्तिकला]] की काफी सन्नति हुई थी। मंदार के सर्वोच्च शिखर पर एक मंदिर है, जिसमें एक प्रस्तर पर पद चिह्न अंकित है। बताया जाता है कि ये पद चिह्न भगवान [[विष्णु]] के हैं। पर जैन धर्मावलंबी इसे प्रसिद्ध [[तीर्थंकर]] [[वासुपूज्य
==सन्दर्भ==
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