"ओड़िया भाषा": अवतरणों में अंतर

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|nativename=ଓଡ଼ିଆ ''{{IAST|odiā}}''
|states=[[भारत]]
|region=[[ओडिशा|ओड़िशा]]
|speakers=३ करोड़ १० लाख (१९९६)
|rank= ३१ (१९९६)
|familycolor=Indo-European
|fam2= [[हिन्द-ईरानी भाषाएँ|हिन्द ईरानी]]
|fam3= [[हिन्द-आर्य भाषाएँ|हिन्द आर्य]]
|fam4=[[:en:List of Eastern Indo-Aryan languages|पूर्वी समूह]]
|fam5= ओडिआ समूह
|script=[[ओड़िआ लिपि]]
|nation=[[ओडिशा|ओड़िशा]]
|iso1=or|iso2=ori|iso3=ori
|map=[[चित्र:Oriyaspeakers.png|center|300px]]<center><small>भारत में निवासी ओड़िआ भाषी</center></small>
|notice=Indic}}
'''ओडिआ''', '''उड़िया''' या '''ओडिया''' (ଓଡ଼ିଆ, ''{{IAST|oṛiā}}'' ''ओड़िआ'') [[भारत]] के [[ओडिशा|ओड़िशा]] [[प्रांत|प्रान्त]] में बोली जाने वाली [[भाषा]] है। यह यहाँ के राज्य सरकार की [[राजभाषा]] भी है। [[भाषा-परिवार|भाषाई परिवार]] के तौर पर ओड़िआ एक [[आर्यभारत के भाषाई परिवार|आर्य]] [[भाषा]] है और [[नेपाली (बहुविकल्पी)|नेपाली]], [[बाङ्ला भाषा|बांग्ला]], [[असमिया भाषा|असमिया]] और [[मैथिली भाषा|मैथिली]] से इसका निकट संबंध है। ओड़िशा की भाषा और जाति दोनों ही अर्थो में ''उड़िया'' शब्द का प्रयोग होता है, किंतु वास्तव में ठीक रूप ''ओड़िआ'' होना चाहिए। इसकी व्युत्पत्ति का विकासक्रम कुछ विद्वान् इस प्रकार मानते हैं ओड्रविषय, ओड्रविष, ओडिष, आड़िषा या ओड़िशा। सबसे पहले भरत के [[नाट्य शास्त्र|नाट्यशास्त्र]] में उड्रविभाषा का उल्लेख मिलता हैं।
<poem>"शबराभीरचांडाल सचलद्राविडोड्रजा:। हीना वनेचराणां च विभाषा नाटके स्मृता:।"</poem>
भाषातात्विक दृष्टि से ओड़िआ भाषा में आर्य, द्राविड़ और मुंडारी भाषाओं के संमिश्रित रूपों का पता चलता है, किंतु आज की ओड़िआ भाषा का मुख्य आधार भारतीय आर्यभाषा है। साथ ही साथ इसमें संथाली, मुंडारी, शबरी, आदि मुंडारी वर्ग की भाषाओं के और औराँव, कुई (कंधी) [[तेलुगू भाषा|तेलुगु]] आदि [[दक्षिण भारत|द्राविड़]] वर्ग की भाषाओं के लक्षण भी पाए जाते हैं।
 
== लिपि ==
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* आधुनिक ओड़िआ ([[१८५०]]-वर्तमान).
 
ओड़िआ एक पूर्वी इंडो-आर्य भाषा होने के नाते इंडो-आर्य भाषा परिवार का सदस्य है। इसे पूर्व मागधी नामक प्राकृत भाषा का वंशधर माना जाता जिसे कि १५०० साल पहले पूर्व भारत में प्रयोग किया जाता था। इस का आधुनिक बांग्ला, मैथिली, नेपाली एवं असमिया भाषाओं से निकट संबंध है। अन्य उत्तर भारतीय भाषाओं के मुकाबले में ओड़िआ, पार्सी भाषा द्वारा सबसे कम प्रभावित हुआ है। लिखित ओड़िआ भाषा का प्राचीनतम उदाहरण [[मदल पंजी|मादला पांजि]] (पुरी के [[जगन्नाथ मन्दिर, पुरी|जगन्नाथ मंदिर]] की पंजिका) में मिलता है जिन्हे [[ताड़]] के पत्तों पर लिखा गया था।
 
== प्रमुख बोलियाँ ==
* '''मिदनापुरी ओड़िआ''': [[पश्चिम बंगाल]] के [[पूर्व मेदिनीपुर जिला|मिदनापुर]] क्षेत्र में बोली जाने वाली
* '''सिंहभूम ओड़िआ''': [[झारखण्ड|झारखंड]] के [[पूर्वी सिंहभूम|पूर्वी सिंगभूम]], [[पश्चिमी सिंहभूम जिला|पश्चिमी सिंगभूम]] एवं सरायकेला-खरसावां जिलों में बोली जाने वाली
* '''बालेश्वरी ओड़िआ''': [[बालेश्वर]], [[भद्रक]] एवं [[मयूरभंज जिला|मयूरभंज]] जिलों में बोली जाने वाली
* '''गंजामी ओड़िआ''': ओड़िशा के [[गंजाम जिला|गंजाम]] एवं [[गजपति जिला|गजपति जिलों]] में, आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम् जिले में बोली जाने वाली
*'''कळाहाण्डि ओड़िआ''': ओड़िशा के [[कालाहांडीकलाहांडी जिला|कळाहाण्डि जिलों]] में बोली जाने वाली
* '''देशीय ओड़िआ''': [[कोरापुट जिला|कोरापुट]], [[रायगड़ा जिला|रायगड़ा]], [[नबरंगपुर जिला|नवरंगपुर]] एवं [[मालकानगिरि जिला|मालकानगिरि]] जिलों में तथा आंध्र प्रदेश के [[विशाखपट्नम|विशाखापट्टनम]] जिले में बोली जाने वाली
* '''संबलपुरी ओड़िआ''': [[सम्बलपुर जिला| सम्बलपुर]], [[देवगड़देवगढ़ जिला|देवगड़]], [[सुन्दरगड़सुन्दरगढ़ जिला|सुन्दरगड़]], [[बलांगिर जिला|बलांगिर]], [[झारसुगुड़ा जिला|झारसुगुडा जिला]], [[सोनपुरसुबर्णपुर जिला|सुबर्नपुर]], [[बौध जिला|बौध]] जिला एवं [[बरगढ़ जिला|बरगढ़]] जिलों तथा [[छत्तीसगढ़]] राज्य के रायगढ़, बिलासपुर, जैशपुर जिलों में बोली जाने वाली भाषा।
* '''भात्री''': दक्षिण-पश्चिमी ओड़िशा एवं पूर्व-दक्षिणी छत्तीसगढ़ में बोली जाने वाली भाषा
 
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{{मुख्य|ओड़िया साहित्य}}
 
ओड़िआ भाषा के प्रथम महान कवि झंकड के [[सारला दास]] थे जिन्होने देवी दुर्गा की स्तुति में [[देवीभागवत पुराण|चंडी पुराण]] और [[विलंका रामायण]] की रचना की थी। अर्जुन दास के द्वारा लिखित राम-विवाह ओड़िआ भाषा की प्रथम दीर्घ कविता है। प्रारंभिक काल के बाद से लगभग १७०० तक के समय को ओड़िआ साहित्य में '''पंचसखा युग''' के नाम से जाना जाता है। इस युग का प्रारंभ श्रीचैतन्य के वैष्ण्ब धर्म के प्रचार से हुआ। बलराम दास, जगन्नाथ दास, यशोवंत दास, अनंत दास एवं अच्युतानंद दास-इन पांचों को पंचसखा कहा जाता है। इस युग के अन्य साहित्यिकों की तरह इनकी रचनाएं भी धर्म पर आधारित थीं। इस काल के रचनाएं प्रायः संस्कृत से अनुवादित की हुई होति थीं या उन्हि पर आधारित होति थीं। अनुवादों में आक्षरिक के अपेक्षा भावानुवाद का प्रचलन ज्यादा था।
 
== स्रोत ==