"त्रिविम रसायन": अवतरणों में अंतर

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== परिचय ==
'स्टीरिओ' शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द स्टिरिऑस (sterios) से, जिसका अर्थ 'ठोस' होता है, हुई है और यह रासायनिक यौगिकों के उन गुणों से संबंधित है जो उनके अणु के परमाणुओं की त्रिविम व्यवस्था पर निर्भर हैं। परमाणुओं की त्रिविम व्यवस्था का सबसे प्रमुख फल '''[[त्रिविमसमावयवता|त्रिविम समावयवता]]''' (stereo-isomerism) है। समावयवी वे यौगिक हैं जिनका [[रासायनिक सूत्र|अणुसूत्र]] एक समान होता है, पर कुछ भौतिक तथा रासायनिक गुणों में वे भिन्न होते हैं। यह विभिन्नता इनके अणुओं के भीतर परमाणुओं की व्यवस्था की भिन्नता के कारण होती है। [[एथिल ऐलकोहॉल]] और [[डाइमेथिल ईथर]] दोनों का अणुसूत्र एक ही C2H6O है, पर अणुओं में परमाणुओं का विन्यास भिन्न भिन्न है।
 
विन्यास समावयवता दो प्रकार की होती है : एक [[प्रकाशीय समावयवता]] और दूसरी [[ज्यामितीय समावयवता]]। प्रकाशीय समावयवता [[सममिति|असममित]] होने के कारण प्रकाशत: सक्रिय होते हैं तथा बहुत से रासायनिक और भौतिक गुणों में समान होते हैं। इनका सबसे प्रमुख अंतर ध्रुवित प्रकाश के साथ की क्रिया है, क्योंकि इन समावयवियों का घूर्णन बराबर और विपरीत दिशा में हो सकता है। ज्यामितीय समावयवियों के रासायनिक तथा भौतिक गुणों में भिन्नता होती है।
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== चतुष्फलकीय कार्बन परमाणु (Tetrahedral Carbon Atom) ==
सन् 1874 में [[जैकोबस हेनरीकस वांट हॉफ|वांट हॉफ]] और ले बल (Van't Hoff and Le Bel) ने कार्बनिक यौगिकों की प्रकाशत: समावयवता के अस्तित्व का समाधान किया। [[जैकोबस हेनरीकस वांट हॉफ|वांट हाफ]] ने विचार किया कि कार्बन की चारों संयोजकता किसी [[समचतुष्फलक]] (regular tetrahedron) के चारों सिरों की तरफ निर्देशित है और [[कार्बन]] परमाणु उस चतुष्फलक के मध्य में स्थित है। इस सिद्धांत के अनुसार [[मिथेन|मेथेन]] के चारों हाइड्रोजन परमाणु समान होंगे, जिसे भौतिक और रासायनिक क्रियाओं द्वारा सिद्ध भी किया गया। इसके पूर्व 1858 ई. में यह समझा जाता था कि कार्बन की चारों संयोजकताएँ एक समतल में हैं और कार्बन परमाणु इस वर्ग के केंद्र पर है।
 
== चतुष्फलकीय कार्बन की पुष्टि ==