"मोहम्मद ग़ोरी": अवतरणों में अंतर

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।सन् 1205 ई० में खोखरों के विद्रोह को दबाने के लिए मुहम्मद गौरी फिर भारत में आ गया। उसने विद्रोह को दबा दिया। परन्तु जब वह लाहौर से 15 मार्च 1205 ई० को गजनी वापिस जा रहा था, तब धम्यक (Dhamyak) के स्थान पर मुलतान के 25000 खोखर जाटों ने इस सेना पर धावा जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-567 बोलकर मुहम्मद गौरी का सिर काट लिया।
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'''शहाब-उद-दीन मुहम्मद ग़ोरी''' 12वीं शताब्दी का अफ़ग़ान सेनापति था जो 1202 ई. में [[ग़ोरी राजवंश|ग़ोरी साम्राज्य]] का शासक बना। सेनापति की क्षमता में उसने अपने भाई ग़ियास-उद-दीन ग़ोरी (जो उस समय सुल्तान था) के लिए [[भारतीय उपमहाद्वीप]] पर ग़ोरी साम्राज्य का बहुत विस्तार किया और उसका पहला आक्रमण [[मुल्तान]] (1175 ई.) पर था। [[पाटन]] (गुजरात) के शासक भीम द्वितीय पर मोहम्मद ग़ौरी ने 1178 ई. में आक्रमण किया किन्तु मोहम्मद ग़ौरी यानी घोरी बुरी तरह पराजित हुआ।
 
मोहम्मद ग़ोरी और [[पृथ्वीराज चौहान]] के बीच तराईन के मैदान में दो युद्ध हुए। 1191 ई. में हुए तराईन के प्रथम युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की विजय हुई किन्तु अगले ही वर्ष 1192 ई. में पृथ्वीराज चौहान ने बसंत पंचमी दिन आंखे न होते हुवे भी गोरी का वध कर दिया। बाद में गोरी के गुलाम [[कुतुब-उद-दीन ऐबक|कुतुबुद्दीन ऐबक]] ने [[ग़ुलाम वंश|गुलाम राजवंश]] की नीव डाली।।।।।सन् 1205 ई० में खोखरों के विद्रोह को दबाने के लिए मुहम्मद गौरी फिर भारत में आ गया। उसने विद्रोह को दबा दिया। परन्तु जब वह लाहौर से 15 मार्च 1205 ई० को गजनी वापिस जा रहा था, तब धम्यक (Dhamyak) के स्थान पर मुलतान के 25000 खोखर जाटों ने इस सेना पर धावा
 
जाट वीरों का इतिहास: दलीप सिंह अहलावत, पृष्ठान्त-567
 
बोलकर मुहम्मद गौरी का सिर काट लिया।
 
== जीवनी ==