"सखी संप्रदाय": अवतरणों में अंतर

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'''सखी संप्रदाय''', [[निम्बार्कनिंबार्क सम्रदायसंप्रदाय|निम्बार्क मत]] की एक शाखा है जिसकी स्थापना [[स्वामी हरिदास]] (जन्म सम० १४ ४१ वि०) ने की थी। इसे '''हरिदासी सम्प्रदाय''' भी कहते हैं। इसमें भक्त अपने आपको [[कृष्ण|श्रीकृष्ण]] की सखी मानकर उसकी उपासना तथा सेवा करते हैं और प्रयः स्त्रियों के भेष में रहकर उन्हीं के आचारों, व्यवहारों आदि का पालन करते हैं। सखी संप्रदाय के साधु विषेश रूप से भारत वर्ष में उत्तर प्रदेश के ब्रजक्षेत्र वृन्दावन, मथुरा, गोवर्धन में निवास करते हैं।
 
स्वामी हरिदास जी के द्वारा निकुंजोपासना के रूप में श्यामा-कुंजबिहारी की उपासना-सेवा की पद्धति विकसित हुई, यह बड़ी विलक्षण है। निकुंजोपासना में जो सखी-भाव है, वह [[गोपी]]-भाव नहीं है। निकुंज-उपासक प्रभु से अपने लिए कुछ भी नहीं चाहता, बल्कि उसके समस्त कार्य अपने आराध्य को सुख प्रदान करने हेतु होते हैं। श्री निकुंजविहारी की प्रसन्नता और संतुष्टि उसके लिए सर्वोपरि होती है।