"सखी संप्रदाय": अवतरणों में अंतर
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'''सखी संप्रदाय''', [[
स्वामी हरिदास जी के द्वारा निकुंजोपासना के रूप में श्यामा-कुंजबिहारी की उपासना-सेवा की पद्धति विकसित हुई, यह बड़ी विलक्षण है। निकुंजोपासना में जो सखी-भाव है, वह [[गोपी]]-भाव नहीं है। निकुंज-उपासक प्रभु से अपने लिए कुछ भी नहीं चाहता, बल्कि उसके समस्त कार्य अपने आराध्य को सुख प्रदान करने हेतु होते हैं। श्री निकुंजविहारी की प्रसन्नता और संतुष्टि उसके लिए सर्वोपरि होती है।
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