"जलवायु परिवर्तन": अवतरणों में अंतर

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'''जलवायु परिवर्तन''' औसत [[मौसम|मौसमी दशाओं]] के पैटर्न में ऐतिहासिक रूप से बदलाव आने को कहते हैं। सामान्यतः इन बदलावों का अध्ययन [[पृथ्वी]] के इतिहास को दीर्घ अवधियों में बाँट कर किया जाता है। [[जलवायु]] की दशाओं में यह बदलाव [[प्रकृति|प्राकृतिक]] भी हो सकता है और मानव के क्रियाकलापों का परिणाम भी।<ref name=":0">[http://hi.vikaspedia.in/rural-energy/environment/environment-facts#section-4 जलवायु परिवर्तन - विकासपीडिया पर]</ref> [[ग्रीनहाउस प्रभाव]] और [[भूमंडलीय ऊष्मीकरण|वैश्विक तापन]] को मनुष्य की क्रियाओं का परिणाम माना जा रहा है जो [[औद्योगिक क्रांति]] के बाद मनुष्य द्वारा उद्योगों से निःसृत [[कार्बन डाईऑक्साइड|कार्बन डाई आक्साइड]] आदि गैसों के [[पृथ्वी का वायुमण्डल|वायुमण्डल]] में अधिक मात्रा में बढ़ जाने का परिणाम है।<ref>[http://hi.vikaspedia.in/rural-energy/environment/environment-facts#section-5 जलवायु परिवर्तन के कारण - विकासपीडिया पर]</ref>
जलवायु परिवर्तन के खतरों के बारे में वैज्ञानिक लगातार आगाह करते आ रहे हैं<ref>[http://www.dw.de/%E0%A4%AC%E0%A5%87%E0%A4%95%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A5%82-%E0%A4%B9%E0%A5%8B-%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%97%E0%A4%BE-%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A5%81-%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%A8/a-17532022 बेकाबू हो जाएगा जलवायु परिवर्तन] रेडियो दायेच विले (जर्मन रेडियो प्रसारण सेवा)।</ref> |
 
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जैव, [[कार्बन चक्र|कार्बन]] और [[पानी चक्र|पानी के चक्र]] में अपनी भूमिका के माध्यम से जलवायु को प्रभावित करता है। इसके साथ ही [[वाष्पन-उत्सर्जन]], [[बादल गठन]], और [[प्रतिकूल मौसम]] के रूप में भी यह तंत्र को प्रभावित करता हैं।
जैव ने, भूतकाल में जलवायु को कैसे प्रभावित किया, इसके कुछ उदाहरण हैं:
* 2.3 अरब साल पहले [[हिमाच्छादन]] में ऑक्सिजेनिक [[प्रकाश-संश्लेषण|प्रकाश संश्लेषण]] के विकास हुआ, जिससे ग्रीनहाउस गैस कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग कर ऑक्सीजन मुक्त करने की प्रक्रिया शुरू हो गई।<ref>{{cite journal |ref= harv |doi=10.1126/science.1071184 |title= Life and the Evolution of Earth's Atmosphere |year=2002 |last1= Kasting |first1=J. F. |journal= Science |volume=296 |issue=5570 |pages= 1066–8 |pmid=12004117 |last2=Siefert |first2=JL|bibcode = 2002Sci...296.1066K }}</ref>
* एक और हिमाच्छादन 300 लाख साल पहले, लंबी अवधि से दफन संवहनी भूमि-पौधों के अपघटन के द्वारा की शुरुआत हुई। (जिससे कार्बन सिंक और कोयला बनने की प्रक्रिया शुरू हुई)<ref>{{cite journal |ref=harv |doi=10.1126/science.271.5252.1105 |title= Middle to Late Paleozoic Atmospheric CO2 Levels from Soil Carbonate and Organic Matter |year=1996 |last1=Mora |first1=C. I. |last2=Driese |first2=S. G. |last3=Colarusso |first3=L. A. |journal=Science |volume=271 |issue=5252 |pages=1105–1107 |bibcode= 1996Sci...271.1105M}}</ref>
* 55 लाख साल पहले समृद्ध समुद्री [[पादप प्लवक]] द्वारा पेलियोसीन-युगीन ऊष्मा की अधिकतम समाप्ति।<ref name=Zachos1999>{{cite journal |ref=harv |doi=10.1080/11035890001221188 |title=An assessment of the biogeochemical feedback response to the climatic and chemical perturbations of the LPTM |year= 2000 |last1=Zachos |first1= J. C. |last2= Dickens |first2=G. R. |journal= GFF |volume=122 |pages=188–189}}</ref>
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==भौतिक साक्ष्य==
[[File:16-008-NASA-2015RecordWarmGlobalYearSince1880-20160120.png|thumb|center|500px|<center> वर्ष 2015 सबसे गर्म वर्ष रहा (वर्ष 1880 से लेकर) – तापमान विसंगतियों को दर्शाते रंग: लाल-गर्म ,नील-ठंड़ा([[नासा|NASA]]/NOAA); 20 जनवरी 2016).<ref name="NASA-20160120">{{cite web |last1=Brown |first1=Dwayne |last2=Cabbage |first2=Michael |last3=McCarthy |first3=Leslie |last4=Norton |first4=Karen |title=NASA, NOAA Analyses Reveal Record-Shattering Global Warm Temperatures in 2015 |url=http://www.nasa.gov/press-release/nasa-noaa-analyses-reveal-record-shattering-global-warm-temperatures-in-2015 |date=20 January 2016 |work=[[नासा|NASA]] |accessdate=21 January 2016 }}</ref></center>]]
जलवायु परिवर्तन के साक्ष्य कई प्रकार के स्रोतों से उपलब्ध होते हैं जिन्हें पुराकालीन जलवायवीय दशाओं के विवेचन हेतु प्रयोग में लाया जा सकता है। धरातलीय सतह के पास तापमान के प्रत्यक्ष मापन द्वारा प्राप्त किये गए आँकड़े, उन्नीसवीं सदी के मध्य के बाद के पूरी दुनिया के विभिन्न स्थानों के लिए उपलब्ध हैं और ये आँकड़े तार्किक निष्पत्तियाँ निकालने हेतु पर्याप्त मात्रा में मौज़ूद हैं। इससे पहले की जलवायवीय दशाओं के पुनर्निर्माण हेतु विविध अप्रत्यक्ष तरीकों से प्राप्त किये आँकड़े प्रयोग में लाये जाते हैं—पुराजलवायु वैज्ञानिक अध्ययनों में प्राप्त संरक्षित लक्षण जिनका उपयोग उस समय की जलवायु के निर्धारण में मददगार साबित होता है, अन्य संसूचक जो जलवायु दशाओं को प्रतिबिंबित करते हैं, जैसे वनस्पतियाँ, हिमक्रोड,<ref>{{cite journal | last1 = Petit | first1 = J. R. | title = Climate and atmospheric history of the past 420,000 years from the Vostok ice core, Antarctica | journal = [[Nature (journal)|Nature]] | volume = 399 | pages = 429–436 | date = 1999-06-03 | doi = 10.1038/20859 | issue = 1 | first2 = J. |last2=Jouzel | first3 = D. |last3=Raynaud | first4 = N. I. |last4=Barkov | first5 = J.-M. |last5=Barnola | first6 = I. |last6=Basile | first7 = M. |last7=Bender | first8 = J. |last8=Chappellaz | first9 = M. |last9=Davis | first10 = G. |last10=Delaygue | first11 = M. |last11=Delmotte | first12 = V. M. |last12=Kotlyakov | first13 = M. |last13=Legrand | first14 = V. Y. |last14=Lipenkov | first15 = C. |last15=Lorius | first16 = C. |last16=Ritz | first17 = E. |last17=Saltzman | ref = harv | bibcode=1999Natur.399..429P}}</ref> पेड़ों के आयु निर्धारक आँकड़े, समुद्रतल परिवर्तन संबंधी आँकड़े और हिमनदीय भूविज्ञान से प्राप्त आँकड़े इत्यादि।
 
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===हिमनद===
[[हिमनदहिमानी|हिमनदों]] को जलवायु में बदलाव के संकेतकों में सर्वथा सम्वेदनशील संकेतक के रूप में देखा जाता है। हिमनदों का आकार इनके ऊपरी हिस्से में बर्फ़बारी के कारण होने वाले बर्फ़ के आगम और निचले सिरे पर बर्फ़ के पिघलने के बीच के संतुलन पर आधारित होता है, जिसे हिमनद का द्रव्यमान संतुलन भी कहा जाता है। तापमान के अधिक होने की दशा में हिमनदों का यह द्रव्यमान संतुलन ऋणात्मक हो जाता है, अर्थात हिमपात से जितनी बर्फ़ का आगम होता है उससे ज़्यादा बर्फ़ निचले हिस्सों में पिघलने लगती है और परिणामस्वरूप हिमनद पीछे की ओर खिसकने लगता है जिसे हिमनद निवर्तन कहा जाता है। इसके विपरीत तापमान में कमी आने पर हिमनद की लम्बाई बढ़ती है।
 
उपरोक्त सामान्य कारण के अलावा, हिमनदों की लम्बाई में होने वाले परिवर्तन अन्य कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं और बाह्य दशाओं पर निर्भर करते हैं। इसी कारण, तापमान, वर्षण, हिमनदीय और उपहिमनदीय जलविज्ञान के तत्व मिलकर किसी एक ऋतु में भी हिमनद की लम्बाई को विविध तरीकों से प्रभावित कर सकते हैं। यही कारण है कि हिमनदों की लम्बाई के आधार पर जलवायु के बारे में निष्कर्ष निकालने के लिए एक पर्याप्त समयावधि के आंकड़ों का औसत निकाल कर ही इनके आकार में होने वाले बदलाव की प्रवृत्ति देखी जाती है, ताकि लघु-समयावधि के विचलनों के प्रभाव को हटा कर केवल जलवायु के कारण हुए बदलाव को अलग से चिह्नित किया जा सके।