"लुई पास्चर": अवतरणों में अंतर
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इसके बाद लुई पाश्चर ने गायों और भेड़ों के ऐन्थ्रैक्स नामक रोग के लिए बैक्सीन बनायी: पर उनमें रोग हो जाने के बाद वे उन्हें अच्छा नहीं कर सके: किन्तु रोग को होने से रोकने में लुइको सफलता मिल गई। पास्चरने भेड़ों के दुर्बल किए हुए ऐन्थ्रैक्स जीवाणुओं की सुई लगाई। इससे होता यह था कि भेड़ को बहुत हल्का ऐन्थ्रैक्स हो जाता था; पर वह इतना हल्का होता था कि वे कभी बीमार नहीं पड़ती थीं और उसके बाद कभी वह घातक रोग उन्हें नही होता था। पास्चर और उनके सहयोगियों ने मासों फ्रांस में घूमकर सहस्रों भेड़ों को यह सुई लगाई। इससे फ्रांस के गौ एवं भेड़ उद्योग की रक्षा हुई।
[[चित्र:Pascher.jpg|अंगूठाकार|303x303पिक्सेल|लुइ पास्चेर अपनी प्रयोगशाला में एक पेंटिंग १८८५ ]]
== रेबीज टिका ==
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