"आया नगर": अवतरणों में अंतर

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{{स्रोतहीन|date=अक्टूबर 2015}}
'''आया नगर''' [[दिल्ली]] के दक्षिण में स्थित एक क्षेत्र है।
आयानगर नाम यहिया नगर का आधुनिक नाम है जिसको यहिया खान से यहाँ के मूल बाशिंदों जोकि गुर्जर बिरादरी के लोहमोड गौत्र से है के द्दारा ख़रीदा गया था, लोहमोड गौत्र वास्तव में पँवार गौत्र से निकला हुआ गौत्र है, जोकि राजा जगदेव पंवार के वंशज है जिसको आज लोहिया से भी सम्बोधित किया जाने लगा है यहाँ ये राजस्थान से आए थे कुछ समय पश्चात् पानी की क़िल्लत होने के कारण कुछ आबादी यहाँ से निकल कर गंगा नदी की तलहटी में जा बसी जहाँ ये आज काफ़ी संख्या में है, घिटोरनी व नाथूपुर जोकि इसके पड़ोसी गाँव है वहाँ भी ये बहुसंख्यक रूप में है। ये ही नही घिटोरनी, नाथूपूर, आयानगर तीनो का ही आयानगर के दक्षिण छोर पर प्राचीन साह नगर गाँव से निकास है, जो अब वनभूमि है। आयानगर गाँव शुरू से ही काफी समृद्ध रहा है यहाँ के स्थानीय लोगों का मुख्य रोजगार दूध का व्यवसाय था, गाँव मे कुछ परिवार मुख्य प्रभाव रखते थे जैसे कि खीम्मन-मैदी, पपड़( चित्ररू, टोडर, लिखीराम), टिमलिया, बख्तावर, हरबल भाटी, नम्बरदार व जीवन पंडित।
 
 
यह एक ग्रामीण क्षेत्र था। 1960 के दशक में सरकार द्दारा वायुसेना व रेडियो स्टेशन व फिर सशस्त्र सीमा बल के लिए ग्रामीणों की जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया जिसके कारण यहाँ के बाशिंदों के सामने रोज़ी रोटी का संकट खड़ा हो गया तो लोगों ने अपने पारम्परिक दूध के व्यवसाय को यहाँ से निकल दिल्ली के अन्य इलाक़ों में करना शुरू कर दिया फिर 90 के दशक में दूध के व्यवसाय में नामी कम्पनियों व बाहरी राज्यों से मिली चुनौती के कारण कर पाना मुश्किल हो गया था फिर गाँव के कुछ लोगों ने दिल्ली में बढ़ती आबादी को देख अपनी बची हुई बँजर ज़मीन पर बसाना शुरू कर दिया जिससे देखते ही देखते आयानगर गाँव से एक क़स्बा हो गया।
यह एक ग्रामीण क्षेत्र था। 1960 के दशक में सरकार द्दारा वायुसेना व रेडियो स्टेशन व फिर सशस्त्र सीमा बल के लिए ग्रामीणों की जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया जिसके कारण यहाँ के बाशिंदों के सामने रोज़ी रोटी का संकट खड़ा हो गया तो लोगों ने अपने पारम्परिक दूध के व्यवसाय को यहाँ से निकल दिल्ली के अन्य इलाक़ों में करना शुरू कर दिया फिर 80 के दशक में दूध के व्यवसाय में नामी कम्पनियों व बाहरी राज्यों से मिली चुनौती के कारण कर पाना मुश्किल हो गया था और जमीन के दाम मे आए दिन हो रहे उछाल को देखकर फिर गाँव के कुछ लोग जमीन से जुडे व्यवसाय मे आ गए इनमे सबसे प्रमुख नाम चौधरी दयाराम ( CDR) का रहा जिन्होंने इस क्षेत्र मे अपार सफलता हासिल उसके बाद सुखबीर जौनापुरिया, कवरसिह तंवर, बलराज तंवर, रामजी जैसे कई नाम क्षेत्र मे चमकने लगे तथा दिल्ली में बढ़ती आबादी को देखकर यहाँ कि किसानो ने अपनी बची हुई बँजर ज़मीन पर प्लाट बेचकर लोगो को बसाना शुरू कर दिया जिससे देखते ही देखते आयानगर गाँव से एक क़स्बा हो गया आज आयानगर जनसंख्या व राजनीतिक दृष्टि से छत्तरपुर विधानसभा का अहम क्षेत्र है जो किसी भी चुनाव मे अपना प्रभाव डालता है। आयानगर आज नगर निगम का अलग से वार्ड भी है, यहाँ अब एक मिनी भारत का स्वरूप है जहाँ सभी जाति व क्षेत्र के लोग मिल जुलकर रहते है, अभी हाल ही मे यहाँ के युवाओ ने यहाँ इस समाजिक सदभाव को ओर मजबूत करने के लिए साल 2018 से सामूहिक गोवर्धन पूजा सफल आयोजन कर रहे है जिसमे सभी 36 बिरादरी मिलकर इस आयोजन मे शिरकत करती है, इस सामूहिक गोवर्धन पूजा का प्रभाव धीरे-धीरे अन्य गाँवो मे भी बढ़ रहा है इसी के चलते 2019 मे सामूहिक गोवर्धन पूजा का आयोजन आयानगर के साथ-साथ डेरा गाँव, बरौला, खैरपुर व किशनगढ़ आदि गाँवो मे किया गया।
 
[[श्रेणी:दिल्ली में सड़कें]]