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'''षट्खण्डागम''' (अर्थ = छ: भागों वाला धर्मग्रंथ) [[दिगम्बर]] जैन संप्रदाय का सर्वोच्च और सबसे प्राचीन पवित्र धर्मग्रंथ है। दिगंबर परंपरा के अनुसार मूल धर्मवैधानिक शास्त्र [[महावीर स्वामी|महावीर भगवान]] के [[निर्वाण]] के कुछ शताब्दियों के बाद ही लुप्त हो गये थे। अतः, षट्खण्डागम को [[आगम (जैन)|आगम]] का दर्जा दिया गया है और इसे सबसे श्रद्धेय माना गया है। दिगम्बरों के लिए षट्खण्डागम की अहमियत इस बात से लगायी जा सकती है, कि जिस दिन षट्खण्डागम पर [[धवला टीका]] को पूरा किया गया था, उस दिन को श्रुत पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
 
== उत्पत्ति ==
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==षट्खण्डागम में गणित==
षट्खण्डागम में [[समुच्चय (गणित)|समुच्चय]] (सेट) का कांसेप्ट आया है। विभिन्न समुच्चयों पर (log<sub>2</sub>) के [[फलन|फलनों]] से संक्रिया (ऑपरेशन) इसमें देखने को मिलता है।
 
== इन्हें भी देखें ==