"मणिपुरी नृत्य": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Rasa Lila in Manipuri dance style.jpg|350px|thumb|right|मणिपुरी नृत्य के रूप में [[रासलीला]] की प्रस्तुति]]
[[चित्र:Ras Lila.jpg|अंगूठाकार|मणिपुरी नृत्य में प्रायः [[राधा]] और [[कृष्ण]] के प्रेम का मंचन किया जाता है।]]
'''मणिपुरी नृत्य''' [[भारत]] का प्रमुख [[शास्त्रीय नृत्य]] है। इसका नाम इसकी उत्पत्तिस्थल ([[मणिपुर]]) के नाम पर पड़ा है। यह [[नृत्य]] मुख्यतः [[हिन्दू]] [[वैष्णव सम्प्रदाय|वैष्णव]] प्रसंगों पर आधारित होता है जिसमें [[राधा]] और [[कृष्ण]] के प्रेम प्रसंग प्रमुख है।
 
मणिपुरी नृत्‍य [[भारत]] के अन्‍य नृत्‍य रूपों से भिन्‍न है। इसमें शरीर धीमी गति से चलता है, सांकेतिक भव्‍यता और मनमोहक गति से भुजाएँ अंगुलियों तक प्रवाहित होती हैं। यह नृत्‍य रूप 18वीं शताब्‍दी में [[वैष्‍णव]] सम्‍प्रदाय के साथ विकसित हुआ जो इसके शुरूआती रीति रिवाज और जादुई नृत्‍य रूपों में से बना है। [[विष्णु पुराण|विष्‍णु पुराण]], [[भागवत पुराण]] तथा [[गीतगोविन्द]] की रचनाओं से आई विषयवस्तुएँ इसमें प्रमुख रूप से उपयोग की जाती हैं।
 
मणिपुर की [[मेइतेइ लोग|मीतई जनजाति]] की दंतकथाओं के अनुसार जब ईश्‍वर ने पृथ्‍वी का सृजन किया तब यह एक पिंड के समान थी। सात लैनूराह ने इस नव निर्मित गोलार्ध पर नृत्‍य किया, अपने पैरों से इसे मजबूत और चिकना बनाने के लिए इसे कोमलता से दबाया। यह मीतई जागोई का उद्भव है। आज के समय तक जब मणिपुरी लोग नृत्‍य करते हैं वे कदम तेजी से नहीं रखते बल्कि अपने पैरों को भूमि पर कोमलता और मृदुता के साथ रखते हैं। मूल भ्रांति और कहानियाँ अभी भी मीतई के पुजारियों या माइबिस द्वारा माइबी के रूप में सुनाई जाती हैं जो मणिपुरी की जड़ हैं।
 
महिला "रास" नृत्‍य [[राधा]]-[[कृष्ण|कृष्‍ण]] की विषयवस्‍तु पर आधारित है जो [[बेले]] तथा एकल नृत्‍य का रूप है। पुरुष "संकीर्तन" नृत्‍य [[मणिपुरी ढोलक]] की ताल पर पूरी शक्ति के साथ किया जाता है।
 
== सन्दर्भ ==