"ऋषभदेव": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है
पंक्ति 9:
| वंश = इक्ष्वाकु
| पिता = [[नाभिराज]]
| माता = महारानी [[मरुदेवी|मरूदेवी]]
| पुत्र = [[भरत चक्रवर्ती]], [[बाहुबली]] और वृषभसेन,अनन्तविजय,अनन्तवीर्य आदि 98 पुत्र
| पुत्री = ब्राह्मी और सुंदरी
पंक्ति 21:
| केवलज्ञान_स्थान =
| मोक्ष = माघ कृष्ण १४
| मोक्ष_स्थान = [[कैलास पर्वत|कैलाश पर्वत]]
| रंग = [[सोना|स्वर्ण]]
| चिन्ह = वृषभ ([[बैल]])
| ऊंचाई = ५०० धनुष (१५०० मीटर)
पंक्ति 46:
 
== केवल ज्ञान ==
[[File:Lord Risbabhdev moving over golden lotus after attaining Omniscience.jpg|thumb|ऋषभदेव भगवान [[केवल ज्ञान|केवलज्ञान]] प्राप्ति के बाद]]
[[जैन ग्रंथोग्रंथ]] के अनुसार लगभग १००० वर्षो तक तप करने के पश्चात ऋषभदेव को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। ऋषभदेव भगवान के समवशरण में निम्नलिखित व्रती थे :{{sfn|Champat Rai Jain|2008|p=126-127}}
*८४ गणधर
*२२ हजार [[केवली]]
पंक्ति 59:
== हिन्दु ग्रन्थों में वर्णन ==
 
[[साँचा:हिन्दू दर्शन|वैदिक दर्शन ]] में भी ऋषभदेव का विष्णु के 24 अवतारों में से एक के रूप में संस्तवन किया गया है। [[भागवत पुराण|भागवत]] में ''अर्हन्'' राजा के रूप में इनका विस्तृत वर्णन है।
 
हिन्दूपुराण [[श्रीमद्भागवतभागवत पुराण|श्रीमद्भागवत्]] के पाँचवें स्कन्ध के अनुसार मनु के पुत्र प्रियव्रत के पुत्र आग्नीध्र हुये जिनके पुत्र राजा नाभि (जैन धर्म में नाभिराय नाम से उल्लिखित) थे। राजा नाभि के पुत्र ऋषभदेव हुये जो कि महान प्रतापी सम्राट हुये। भागवत् पुराण अनुसार भगवान ऋषभदेव का विवाह [[इन्द्र]] की पुत्री [[जयन्ती]] से हुआ। इससे इनके सौ पुत्र उत्पन्न हुये। उनमें [[भरत चक्रवर्ती]] सबसे बड़े एवं गुणवान थे ये भरत ही भारतवर्ष के प्रथम चक्रवर्ती सम्राट हुए;जिनके नाम से भारत का नाम भारत पड़ा |<ref>श्रीमद्धभागवत पंचम स्कन्ध, चतुर्थ अध्याय, श्लोक ९</ref> उनसे छोटे कुशावर्त, इलावर्त, ब्रह्मावर्त, मलय, केतु, भद्रसेन, इन्द्रस्पृक, विदर्भ और कीकट ये नौ राजकुमार शेष नब्बे भाइयों से बड़े एवं श्रेष्ठ थे। उनसे छोटे कवि, हरि, अन्तरिक्ष, प्रबुद्ध, पिप्पलायन, आविर्होत्र, द्रुमिल, चमस और करभाजन थे।
 
== प्रतिमा ==