"उमर": अवतरणों में अंतर

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जंग के शुरू में मुस्लिम सेना भारी पड़ी लेकिन कुछ कारणों वश मुस्लिमों की हार हुई। कुछ लोगों ने अफवाह उड़ा दी कि मुहम्मद साहब शहीद कर दिये गये तो बहुत से मुस्लिम घबरा गए, उमर ने भी तलवार फेंक दी तथा कहने लगे अब जीना बेकार है। कुछ देरबार पता चला की ये एक अफवाह है तो दुबारा खड़े हुए। इसके बाद खन्दक की जंग में साथ-साथ रहे। उमर ने मुस्लिम सेना का नेत्रत्व किया अंत में मक्का भी फतह हो गया। इसके बाद भी कई जंगों का सामना करना पड़ा, उमर ने उन सभी जंगो में नेत्रतव किया।
 
== पैगम्बर मुहम्म्द साहब की वफ़ात (मृत्यु) ==
8 जून सन् 632 को पैगम्बर [[मुहम्मद]] की मृत्यु हो गयी। उमर तथा कुछ लोग ये विश्वास ही ना रखते थे कि मुहम्मद साहब की मुत्यु भी हो सकती है। ये ख़बर सुनकर उमर अपने होश खो बैठे, अपनी तलवार निकाल ली तथा ज़ोर-ज़ोर से कहने लगे कि जिसने कहा कि नबी की मौत हो गई है मैं उसका सर तन से जुदा कर दूंगा। इस नाज़ुक मौके़ पर तभी [[अबु बक्र|अबू बक्र सिद्दीक]] ने मुसलमानों को एक खु़तबा अर्थात भाषण दिया जो बहुत मशहूर है:
"https://hi.wikipedia.org/wiki/उमर" से प्राप्त