"मयासुर": अवतरणों में अंतर

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लोट गया। तत्पश्चात् दानवश्रेष्ठ मयने उठकर
शिवजीकी ओर देखा। उस समय प्रेमके
 
कारण उसका गला भर आया और वह
भक्तिपूर्ण चित्तसे उनकी स्तुति करने लगा ।