"मयासुर": अवतरणों में अंतर
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रोहित साव27 (वार्ता | योगदान) |
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पंक्ति 21:
लोट गया। तत्पश्चात् दानवश्रेष्ठ मयने उठकर
शिवजीकी ओर देखा। उस समय प्रेमके
कारण उसका गला भर आया और वह
भक्तिपूर्ण चित्तसे उनकी स्तुति करने लगा ।
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