"मयासुर": अवतरणों में अंतर

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== महाभारत में==
[[चित्र:Initiation of Maya SabhaMayaSabha.jpg|right|thumb|300pxright|325px|मयसभामायासभा]]
[[महाभारत]] (आदिपर्व, 219.39; सभापर्व, 1.6) के अनुसार खांडव वन को जलाते समय यह उस वन में स्थित [[तक्षक]] के घर से भागा। [[कृष्ण]] ने तत्काल चक्र से इसका वध करना चाहा किंतु शरणागत होने पर [[अर्जुन]] ने इसे बचा लिया। बदले में इसने [[युधिष्ठिर]] के लिये सभाभवन का निर्माण किया जो '''मयसभामायासभा''' के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसी सभा के वैभव को देखकर [[दुर्योधन]] पाण्डवों से डाह करने लगा था। इस भावना ने [[महाभारत]] युद्ध को जन्म दिया।
 
==शिवपुराण में==
शिवपुराण के अनुसार असुरों का जब शिवजी ने नाश कर दिया, तीनो त्रिपुरों को भष्म कर दिया तो मय राक्षस ने शिवजी की भक्ति की। उसका वृतांत इस प्रकार आया है-