"मौर्य राजवंश": अवतरणों में अंतर

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→‎चन्द्रगुप्त मौर्य और मौर्यों का मूल: जब मौर्य साम्राट अशोक ने बौद्ध धम्म स्वीकार करके सभी प्रजा को समानता और दास प्रथा समाप्त करवाई धर्म के पाखंडवाद की जगह भाईचारे को बढ़ावा दिया और धार्मिक जुलूस आदि काम किये तो ब्रामण सामाज के पेट पर लात पड़ी इसी राजनीतिक द्धेशता के कारण ब्रामाण लेखकों ने मौर्य जाति को शूद्र लिखा । मौर्य के क्षत्रिय होने के प्रमाण 1.बौद्ध धर्म ग्रंथ 2.जैन धर्म ग्रंथ 3.सम्राट अशोक के शिलालेख में लिखा है मैं उसी जाति में पैदा हुवा हूं जिसमें स्वंय बुद्ध पैदा हुवे। बुद्ध की...
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→‎चन्द्रगुप्त मौर्य और मौर्यों का मूल: शासक की जगह नाशक लिखा हुआ था
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4. सम्राट बिंदुसार के इतिहास की जानकारी जिस दिव्यवदान पुस्तक में लिखा है वो क्षत्रिय कुल में पैदा हुवे है ।
5.स्वंय चाणक्य कट्टरवादी ब्रामण थे वो कभी भी किसी शुद्र को न अपना शिष्य बनाते और न ही चन्द्रगुप्त को राजा बनने में मदद करते।
6.जिस ब्रामण धर्म ग्रंथ में मौर्य को शुद्र कहा गया है वो सभी मौर्य साम्राज्य के 200 वर्ष बाद लिखे गये क्योंकि मौर्य और ब्रामण में राजनीतिक द्धेशता के साथ साथ जब पुष्यमित्र शुंग ने मौर्य नाशकशासक ब्रदहस्थ की सत्यता करके मौर्य और बौद्धों के सिर काटकर लाने वालेको सर्वण मुद्रा दी गई क्या ये अब कभी इन मौर्य को सही लिखा सकते हैं ।
अन्ततः यह निष्कर्ष निकलता है कि मौर्य राजवंश एक क्षत्रिय कुल से थे।
मौर्य के उत्पत्ति के विषय पर इतिहासकारो के एक मत नही है कुछ विद्वानों का यह भी मानना है कि चंद्रगुप्त मौर्य की उत्पत्ति उनकी माता मुरा से मिली है मुरा शब्द का संसोधित शब्द मौर्य है , हालांकि इतिहास में यह पहली बार हुआ माता के नाम से पुत्र का वंश चला हो मौर्य एक शाक्तिशाली वंश था वह उसी गण प्रमुख का पुत्र था जो की चन्द्रगुप्त के बाल अवस्था में ही योद्धा के रूप में मारा गया। चन्द्रगुप्त में राजा बनने के स्वाभाविक गुण थे 'इसी योग्यता को देखते हुए चाणक्य ने उसे अपना शिष्य बना लिया, एवं एक सबल राष्ट्र की नीव डाली जो की आज तक एक आदर्श है।{{cn}}