"चौधरी": अवतरणों में अंतर
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{{प्रतिलिपि सम्पादन|date=मार्च 2020}}
'''चौधरी''' सम्मान की एक
'''इनको कणबी भी कहा जाता है। जिसका अर्थ अनाज के कण को बीज की तरह उपयोग करके खेती करना होता है'''
उन्होंने ब्रिटिश भारत के पहले और दौरान भारतीय के प्रमुख क्षेत्रों को नियंत्रित किया है। इस उपाधि का उपयोग उस व्यक्ति द्वारा किया जाता है जो [[जाट]] समुदाय [[पश्चिमी उत्तरप्रदेश]] एवं [[हरियाणा]] में इसके अलावा [[उत्तर प्रदेश|उत्तरप्रदेश]] में [[यादव]] समुदाय से है।
चौधरी, भारतीय उपमहाद्वीप में भूस्वामियों [बड़े बड़े खेतो वाले, जमीनदार (landloards)] द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक पारंपरिक शीर्षक; अब मुख्य रूप से इस उपनाम को जाती के रूप में उपयोग किया जाता है
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हम इनको अलग नही बांट सकते पर इनकी पहचान अलग अलग स्थलों पर रहने से दो तरह की है।
'''(वैसे तो ये एक ही जाती है पर अलग अलग स्थान पर होने से इनको अलग अलग जाना जाता है)'''
जाट चौधरी हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में रहते है ।
'''जाट चौधरी पंजाब और हरियाणा के मौसम, आबोहवा, ओर खानपान के कारण कदकाठी में कदावर होते है'''.
'''आँजणा चौधरीओ के गुरु [[श्री राजाराम महाराज]] ने जाती को शराब से दूर रहने की सूचना दी थी उसकी वजह से जाती के लोग शराब का सेवन नही करते.'''
इनकी खेती अच्छी होती है क्योंकि महेनत करते है ज्यादा. '''जिस गाँव मे चौधरी समाज रहता हो वहाँ कोई भूखा नही सोता ऐसी कहावत भी है.''' दयालु स्वभाव होने के कारण अन्य लोग इनसे दान की अपेक्षा ज्यादा रखते है ।
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