"लक्ष्मण": अवतरणों में अंतर
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== सदाचार का आदर्श ==
सीता की खोज करते समय जब मार्ग में सीता के आभूषण मिलते हैं तो राम लक्ष्मण से पूछते हैं "हे लक्ष्मण! क्या तुम इन आभूषणों को पहचानते हो?" लक्ष्मण ने उत्तर में कहा "मैं न तो बाहों में बंधने वाले केयूर को पहचानता हूँ और न ही कानों के कुण्डल को।मैं तो प्रतिदिन माता [[सीता]] के चरण स्पर्श करता था। अतः उनके पैरों के नूपुर को अवश्य ही पहचानता हूँ।" सीता के पैरों के सिवा किसी अन्य अंग पर दृष्टि न डालने सदाचार का आदर्श है।
<ref name="Ramayana">{{cite book | url=https://books.google.com/?id=4Wzg6wFJ5xwC |ref=harv | title=Ramayana | publisher=University of California Press | author=B. A van Nooten William | year=2000 | isbn=978-0-520-22703-3}}</ref>
== वैराग्य की मूर्ति ==
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