"चन्द्रशेखर आज़ाद": अवतरणों में अंतर
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<!-- Commented out: [[चित्र:Dead Body Of Azad 2620.jpg|thumb|right|बिस्मिल के सच्चे उत्तराधिकारी [[चन्द्रशेखर आजाद]] के मृत शरीर को निहारते लोग व अंग्रेज अधिकारी, उनकी साइकिल पेड़ के पीछे खड़ी है।]] -->
एच०एस०आर०ए० द्वारा किये गये साण्डर्स-वध और दिल्ली एसेम्बली बम काण्ड में
<!-- Commented out: [[चित्र:Pistol of Azad 2703.JPEG|thumb|left|आजाद की ३२ बोर की कोल्ट पिस्तौल जो [[इलाहाबाद]] के आजाद म्यूजियम में रखी हुई है।]] -->
पुलिस ने बिना किसी को इसकी सूचना दिये [[चन्द्रशेखर आज़ाद]] का अन्तिम संस्कार कर दिया था। जैसे ही आजाद की बलिदान की खबर जनता को लगी सारा [[इलाहाबाद]] अलफ्रेड पार्क में उमड पडा। जिस वृक्ष के नीचे आजाद शहीद हुए थे लोग उस वृक्ष की पूजा करने लगे। वृक्ष के तने के इर्द-गिर्द झण्डियाँ बाँध दी गयीं। लोग उस स्थान की माटी को कपडों में शीशियों में भरकर ले जाने लगे। समूचे [[शहर]] में आजाद की बलिदान की खबर से जबरदस्त तनाव हो गया। शाम होते-होते सरकारी प्रतिष्ठानों पर हमले होने लगे। लोग सडकों पर आ गये।
आज़ाद के बलिदान की खबर [[जवाहरलाल नेहरू]] की पत्नी [[कमला नेहरू]] को मिली तो उन्होंने तमाम काँग्रेसी नेताओं व अन्य देशभक्तों को इसकी सूचना दी।। बाद में शाम के वक्त लोगों का हुजूम [[पुरुषोत्तम दास टंडन]] के नेतृत्व में इलाहाबाद के रसूलाबाद शमशान घाट पर [[कमला नेहरू]] को साथ लेकर पहुँचा। अगले दिन आजाद की अस्थियाँ चुनकर युवकों का एक जुलूस निकाला गया। इस जुलूस में इतनी ज्यादा भीड थी कि [[इलाहाबाद]] की मुख्य सडकों पर जाम लग गया। ऐसा लग रहा था जैसे
== व्यक्तिगत जीवन ==
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