"अभियांत्रिकी महाविद्यालय, पुणे": अवतरणों में अंतर

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==इतिहास==
[[File:COEP Main building.JPG|thumb|left|इंजीनियरिंग महाविद्यालय, पुणे का मुख्य भवन जिसमें प्रशासनिक कार्य होते हैं।]]
भारतीय उपखंड की तकनीकी आवश्यकता पूर्ण करने के लिए १८५४ साल में अंग्रेजाे ने 'Poona Engineering Class and Mechanical School' इस नाम से यह अभियांत्रिकी महाविद्यालय चालू किया। उस समय भारत में इमारत, पूल, बाँध, रेल इत्यादी सार्वजनिक स्थानों को बनाने के लिए स्थानिक अधिकारियों को प्रशिक्षण देकर कुशल करना यह इस महाविद्यालय का प्रमुख कार्य था। बाद में कुछ समय के लिए महाविद्यालय का नाम 'Poona Civil Engineering Colleg'किया गया। अंत में इ.स. १९११ साल में महाविद्यालय का 'College of Engineering, Poona' यह नामकरण किया गया।गय<ref name="Christensen Didier Jamison Meganck 2015 p. 108">{{cite book | last=Christensen | first=S.H. | last2=Didier | first2=C. | last3=Jamison | first3=A. | last4=Meganck | first4=M. | last5=Mitcham | first5=C. | last6=Newberry | first6=B. | title=International Perspectives on Engineering Education: Engineering Education and Practice in Context | publisher=Springer International Publishing | series=Philosophy of Engineering and Technology | issue=v. 1 | year=२०१५ | isbn=978-3-319-16169-3 | url=http://books.google.co.in/books?id=Vaa4CQAAQBAJ&pg=PA108 | language=अंग्रेजी भाषा | accessdate=२४ मार्च २०२० | page=१०८}}</ref>ा।
 
शुरू में, मुंबई विश्वविद्यालय से संलग्न था तब, यहाँ के विद्यार्थियों को 'Licentiate in Civil Engineering' (LCE) यह प्रमाणपत्र मिलते थे। बाद में यह प्रमाणपत्र अभ्यासक्रम पदवी में बदला गया और इ.स. १९१२ साल में पहिली 'Bachelor of Engineering' (B.E.) का प्रभाग बाहर पडा। उस समय यह अभ्यासक्रम ३ वर्ष का था। इ.स. १९६७-इ.स. १९६८ की कालावधी में यह अभ्यासक्रम ४ वर्ष का छमाही स्वरूप के अभ्यासक्रम में बदला गया।