"प्यार": अवतरणों में अंतर

→‎राजनीतिक दृष्टिकोण: सकारात्मक नजरिया अपनाकर इमानदारी का जीवन जीना और किसी को क्षति ना पहुंचाना मेरी नजर में प्यार है। बेशक हम किसी के लिए कुछ कर पाएं या ना कर पाएं।
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'''प्यार''' या '''प्रेम''' एक एहसास है। जो [[मस्तिष्क|दिमाग]] से नहीं [[हृदय|दिल]] से होता है
प्यार अनेक भावनाओं जिनमें अलग अलग विचारो का समावेश होता है!,प्रेम [[स्नेह]] से लेकर खुशी की ओर धीरे धीरे अग्रसर करता है। ये एक मज़बूत [[आकर्षण]] और निजी जुड़ाव की भावना जो सब भूलकर उसके साथ जाने को प्रेरित करती है। ये किसी की [[दया]], भावना और [[स्नेह]] प्रस्तुत करने का तरीका भी माना जा सकता है। जिसके उदाहरण के लिए [[माता]] और [[पिता]] होते है खुद के प्रति, या किसी जानवर के प्रति, या किसी इन्सान के प्रति स्नेहपूर्वक [[कार्य (भौतिकी)|कार्य]] करने या जताने को प्यार कहा जाता हैं। सच्चा प्यार वह होता है जो सभी हालातो में आप के साथ हो [[दु:ख|दुख]] में साथ दे आप का और आप की खुशियों को अपनी खुशियां माने कहते हैं कि अगर प्यार होता है तो हमारी ज़िन्दगी बदल जाती है पर जिन्दगी बदलती है या नही, यह इंसान के उपर निर्भर करता है प्यार इंसान को जरूर बदल देता है प्यार का मतलब सिर्फ यह नहीं कि हम हमेशा उसके साथ रहे, प्यार तो एक-दूसरे से [[दूर]] रहने पर भी खत्म नहीं होना चाहिए। जिसमे दूर कितने भी हो अहसास हमेशा पास का होना चाहिए। किसी से सच्चा प्यार करने वाले बहुत कम लोग हैं। लेकिन उदाहरण हैं लैला और मजनू। इनके प्यार की कोई सीमा नहीं है। यह प्यार में कुछ भी कर सकते हैं। ऐसे प्यार को लोग जनम जनमो तक याद रखेंगे।
 
इस सृष्टि में ईश्वर द्वारा बनाई गई कृतियों में मानव सर्वश्रेष्ठ मानव में ज्ञान बल और एहसास की अद्भुत शक्तियां हैं। मानव में दिल और दिमाग का मुख्य स्थान है दिमाग के द्वारा मानव ज्ञान और विज्ञान को समझता है और संवेदना ओं के लिए दिल का उपयोग करता है।
 
प्यार का संबंध दिल की भावनाओं से होता है यह एक एहसास है जो किसी भी जीव या निर्जीव के प्रति होता है प्यार न दिल से होता है न दिमाग से, प्यार तो इत्तेफाक से होता है. सच्चा प्यार तो इत्तेफाक के साथ-साथ किस्मत से ही होता है।
 
असल में जब अच्छी किस्मत के चलते आपके साथ कोई खूबसूरत इत्तेफाक होता है तो कोई आपको सिर्फ एक ही पल में पसंद आ सकता है. इसे ही पहली नजर का प्यार कहते हैं. ऐसा हम नहीं बल्कि वैज्ञानिक शोध भी कह रहे हैं. किसी को देखते ही दिमाग में एक साथ कई केमिकल रिएक्शन होते हैं जिससे कोई व्यक्ति प्यार में पड़ जाता है. इसे कुछ इस तरह से कहा जा सकता है कि पहली नजर पड़ते ही आपका दिल किसी पर नहीं आता बल्कि आपके दिमाग में कोई आ जाता है. यानी कहने को कुछ भी कहें पर प्यार की शुरुआत दिल से नहीं दिमाग से होती है।
 
प्यार की शुरुआत प्यार की शुरुआत नजरों से होती है जब कोई आपकी नजरों को भा जाता है और उसकी छवि आपके दिल और दिमाग में बस जाती है उसका चलना उठना बैठना सब कुछ आपको अच्छा लगने लगता है आप उसे देखने के लिए बेचैन हो जाते हैं यही प्यार है।
 
प्यार की बेचैनी को दूर से महसूस किया जा सकता है हर पल आपका दिल से पानी के लिए बेचैन रहता है यह बेचैनी ही प्यार क्या कहलाता है।
 
"प्यार" शब्द ऐसा [[शब्द]] है जिसका [[नाम]] सुनकर ही हमें अच्छा महसूस होने लगता है,प्यार [[शब्द]] में वो एहसास है जिसे हम कभी नहीं खोना चाहते।इस शब्द में ऐसी पॉजिटिव [[एनर्जी]] है जो हमें मानसिक और आंतरिक [[प्रसन्नता|खुशी]] प्रदान करती है। कभी कभी [[कष्ट]] देय भी होती है
"https://hi.wikipedia.org/wiki/प्यार" से प्राप्त