मानव का शरीर देखने में तो सामान्य नजर आता हैं, लेकिन अगर इसके उपयोग और कार्य को जाना जाए तो हर कोई हैरान रह जाएगा। वैज्ञानिक आज भी मानव शरीर को लेकर हैरान हैं, कि आखिर ऐसे कैसे इतना सब मानव शरीर में हैं। मानव शरीर की संरचना ईश्वर ने की है, यह माना जाता है मानव शरीर निश्चित की कल्पनीय है। इसके बारे में जो भी यह सच सामने आए है वह सच है। शरीर के इन अंगों का मुकाबला या विकल्प भी बना पाना मुश्किल है।
मानव शरीर के मूल भाग सिर, गर्दन, धड़, हथियार और पैर हैं।मानव शरीर जो बनाता है सब कुछ ठीक है वयस्क शरीर: 100 खरब कोशिकाओं, 206 हड्डियों, 600 मांसपेशियों, और 22 आंतरिक अंगों से बना है। … मानव शरीर में करीब 1 अरब कोशिकाओं को प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए। औसत मानव सिर में लगभग 100,000 बाल हैं धमनियों, शिराओं, और केशिकाओं के संचयन प्रणाली लगभग 60,000 मील लंबा है।
शरीर का निर्माण निम्नलिखित तंत्रों द्वारा होता है : (1) अस्थि तंत्र, (2) संधि तंत्र, (3) पेशी तंत्र, (4) रुधिर परिवहन तंत्र, (5) आशय तंत्र : (क) श्वसन तंत्र, (ख) पाचन तंत्र, (ग) मूल एवं जनन तंत्र, (6) तंत्रिका तंत्र तथा (7) ज्ञानेंद्रिय तंत्र।
रासायनिक स्तर पर मानव शरीर विभिन्न जैव-रसायनों का संगठनात्मक तथा क्रियात्मक रूप होता है जिसमें विभिन्न तत्वों के परमाणु यौगिकों के रूप में संगठित होकर जैविक क्रियाओं को संचालित करते हैं। इन तत्त्वों में कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं सल्फर मुख्य होते हैं।
जब दो या दो से अधिक परमाणु परस्पर मिलते हैं, तो वे एक अणु की संरचना करते हैं, उदाहरणार्थ जब ऑक्सीजन के दो परमाणु परस्पर मिलते हैं, तो वे एक ऑक्सीजन का अणु बनाते हैं, जिसे O2 लिखा जाता है। एक अणु में एक से अधिक परमाणु हो तो उसे यौगिक कहते हैं। जल (H2O) एवं कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की तरह ही कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन्स एवं लिपिड (वास) भी ऐसे यौगिक हैं जो कि मानव शरीर के लिए महत्त्वपूर्ण है।
== शरीर के अंग ==
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== सन्दर्भ ==
1. चिकित्साशास्त्रीय शरीररचना विज्ञान, 2. शल्यचिकित्सा शरीररचना विज्ञान (Surgical Anatomy), 3. स्त्री शरीर विशेष रचना विज्ञान, 4. धरातलीय शरीररचना विज्ञान (surface Anatomy), 5. सूक्ष्मदर्शीय शरीररचना विज्ञान (Microscopic Anatomy) तथा 6. भ्रूण शरीररचना विज्ञान (Embryology)। श्विकृत अंगों की रचना के ज्ञान को विकृत शरीररचनाविज्ञान (Pathological Anatomy) कहते हैं।
मानव की विभिन्न प्रजातियों की शरीररचना का जब तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है, तब मानवविज्ञान (Anthropology) का सहारा लिया जाता है। आजकल शरीररचना का अध्ययन सर्वांगी (systemic) विधि से किया जाता है।
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