"दुर्गादास राठौड": अवतरणों में अंतर

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== अजीत सिंह को समर्थन ==
सन् १६७८ में जसवंत सिंह का अफ़्गानिस्तान में निधन हो गया और उनके निधन के समय उनका कोई उत्तराधिकारी घोषित नहीं था। औरंगजेब ने मौके का फायदा उठाते हुये मारवाड़ में अपना हस्तक्षेप जमाने का प्रयास किया। इससे हिन्दूओं नष्ट करने के लिए मुग़ल रणनीति का गठन हुआ और बहुत रक्तपात के बाद भी मुग़ल सेना सफल नहीं हो सकी।<ref name=CHIp247>{{cite book |title=The Cambridge History of India |trans_titletrans-title=भारत का कैम्ब्रिज इतिहास |page=२४७ |url=http://books.google.com/books?id=yoI8AAAAIAAJ |accessdate=६ मार्च २०१५|language=अंग्रेज़ीen}}</ref>
 
जसवंत सिंह के निधन के बाद उनकी दो रानियों ने नर बच्चे को जन्म दिया। इनमें से एक का जन्म के बाद ही निधन हो गया और अन्य [[महाराजा अजीत सिंह|अजीत सिंह]] के रूप में उनका उत्तराधिकारी बना। फ़रवरी १६७९ तक यह समाचार औरंगज़ैब तक पहुँचा लेकिन उन्होंने बच्चे वैध वारिस के रूप में मानने से मना कर दिया। उन्होंने [[जज़िया]] कर भी लगा दिया।<ref name=CHIp247 />