"नवरात्र": अवतरणों में अंतर
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'''नवरात्रि''' [[हिन्दू धर्म|हिंदुओं]] का एक
नौ देवियाँ है :-
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* [[सिद्धिदात्री]] - इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली।
नवरात्रि '''भारत''' के विभिन्न भागों में अलग ढंग से मनायी जाती है। [[गुजरात]] में इस त्योहार को बड़े पैमाने से मनाया जाता है। [[गुजरात]] में नवरात्रि समारोह '''डांडिया''' और '''गरबा''' के रूप में जान पड़ता है। यह पूरी रात भर चलता है। डांडिया का अनुभव बड़ा ही असाधारण है। देवी के सम्मान में भक्ति प्रदर्शन के रूप में गरबा, 'आरती' से पहले किया जाता है और डांडिया समारोह उसके बाद। पश्चिम बंगाल के राज्य में बंगालियों के मुख्य त्यौहारो में दुर्गा पूजा बंगाली कैलेंडर में, सबसे अलंकृत रूप में उभरा है। इस अदभुत उत्सव का जश्न नीचे दक्षिण, [[मैसूर]] के राजसी क्वार्टर को पूरे महीने प्रकाशित करके मनाया जाता है।
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तब महिषासुर के इस दुस्साहस से क्रोधित होकर देवताओं ने देवी दुर्गा की रचना की। ऐसा माना जाता है कि देवी दुर्गा के निर्माण में सारे देवताओं का एक समान बल लगाया गया था। महिषासुर का नाश करने के लिए सभी देवताओं ने अपने अपने अस्त्र देवी दुर्गा को दिए थे और इन देवताओं के सम्मिलित प्रयास से देवी दुर्गा और बलवान हो गईं थी। इन नौ दिन देवी-महिषासुर संग्राम हुआ और अन्ततः महिषासुर-वध कर [[महिषासुर मर्दिनी]] कहलायीं।<ref name = "भास्कर">{{cite web |url= http://www.bhaskar.com/spotlight/dussehra/200710190710191643_dassera_mythological.html|title= दशहरा की पौराणिक कथा|access-date= १९ अक्तूबर २००७ |format= एचटीएम|work= |author= पं.केवल आनंद जोशी |last= जोशी|first= पं.केवल आनंद |authorlink=पं.केवल आनंद जोशी|publisher= भास्कर डॉट कॉम|pages= १|language=हिन्दी }}</ref><ref>[http://www.abhivyakti-hindi.org/kaladirgha/kd9/index.htm देवी दुर्गा-लोकलाओं में चित्र] अभिव्यक्ति पर</ref>
=== धार्मिक
चौमासे में जो कार्य स्थगित किए गए होते हैं, उनके आरंभ के लिए साधन इसी दिन से जुटाए जाते हैं। क्षत्रियों का यह बहुत बड़ा पर्व है। इस दिन ब्राह्मण सरस्वती-पूजन तथा क्षत्रिय शस्त्र-पूजन आरंभ करते हैं। विजयादशमी या दशहरा एक राष्ट्रीय पर्व है। अर्थात आश्विन शुक्ल दशमी को सायंकाल तारा उदय होने के समय 'विजयकाल' रहता है।{{Ref_label|विजयकाल|क|none}} यह सभी कार्यों को सिद्ध करता है। आश्विन शुक्ल दशमी पूर्वविद्धा निषिद्ध, परविद्धा शुद्ध और श्रवण नक्षत्रयुक्त सूर्योदयव्यापिनी सर्वश्रेष्ठ होती है। अपराह्न काल, श्रवण नक्षत्र तथा दशमी का प्रारंभ विजय यात्रा का मुहूर्त माना गया है। दुर्गा-विसर्जन, अपराजिता पूजन, विजय-प्रयाग, शमी पूजन तथा नवरात्र-पारण इस पर्व के महान कर्म हैं। इस दिन संध्या के समय नीलकंठ पक्षी का दर्शन शुभ माना जाता है। क्षत्रिय/राजपूतों इस दिन प्रातः स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर संकल्प मंत्र लेते हैं।{{Ref_label|संकल्प मंत्र|ख|none}} इसके पश्चात देवताओं, गुरुजन, अस्त्र-शस्त्र, अश्व आदि के यथाविधि पूजन की परंपरा है।<ref name = " वेब दुनिया ">
{{cite web |url= http://hindi.webduniya.com/religion/occasion/vijayadashami/0710/18/1071018066_1.htm|title= दशहरा पूजन|access-date= १९ अक्तूबर २००७ |format= एचटीएम|work= |publisher= वेब दुनिया|pages= ०२|language=हिन्दी }}</ref>
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== इन्हें भी देखें ==
* [[नवदुर्गा]]▼
▲*[[नवदुर्गा]]
* [[दशहरा]]
* [[नवरात्रि व्रत की महिमा]]
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