"विक्रम संवत": अवतरणों में अंतर
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'''विक्रम संवत्''' एक प्राचीन [[हिन्दू पंचांग|हिन्दू कालगणना प्रणाली]] है जो भारतीय उपमहाद्वीप्प में प्रचलित रही है। यह [[भारत]] का सास्कृतिक आधिकारिक पञ्चांग है। [[भारत]] में यह अनेकों राज्यों में प्रचलित पारम्परिक पञ्चाङ्ग है। इसमें चान्द्र मास एवं सौर नाक्षत्र वर्ष (solar sidereal years) का उपयोग किया जाता है। इसका प्रणेता सम्राट [[चन्रगुप्त द्वितीय|विक्रमादित्य]] को माना जाता है। कुछ आरम्भिक [[अभिलेख|शिलालेखों]] में ये वर्ष 'कृत' के नाम से आये हैं। ८वीं एवं ९वीं शती से विक्रम संवत का नाम विशिष्ट रूप से मिलता है। संस्कृत के ज्योतिष शास्त्रीय ग्रंथों में यह [[शक संवत]] से भिन्नता प्रदर्शित करने के लिए यह सामान्यतः केवल 'संवत' नाम से प्रयोग किया गया है।
यह संवत 57 ई.पू. आरम्भ होती है (विक्रमी संवत = ईस्वी सन + 57) । इस संवत का आरम्भ [[गुजरात]] में [[कार्तिक]] शुक्ल [[प्रतिपदा]] से और उत्तरी भारत में [[चैत्र]]
जिस दिन नव संवत का आरम्भ होता है, उस दिन के वार के अनुसार वर्ष के राजा का निर्धारण होता है। उदाहरण के लिए, 18-मार्च-2018 को विक्रम संवत 2075 का प्रथम दिन था। 18 मार्च को रविवार होने से वर्ष का राजा [[सूर्य]] होगा।
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