"सारस्वत ब्राह्मण": अवतरणों में अंतर

Sarswat Rajasthan
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मां सरस्‍वती व दधीचि (दध्‍यंग) ऋषि से सारस्‍वत कुल का पैदा होना बताया जाता है जिनका क्षेत्रवार नाम भी रहा है। एक मान्‍यता यह भी है कि सरस्‍वती नदी के किनारे रहनेवाले ब्राह्मण सारस्‍वत कहलाए। सरस ऋषि की संतान के रूप में भी प्रसिद्धि फैली हुई है। सारस्‍वत समाज (कुण्‍डीय) में चार थांबा (स्‍तंभ), 24 जातियां शामिल हैं।
 
कन्नौज के राजा '''जयचंद''' द्वारा जब '''राजशूया यज्ञ''' के लिए सबसे श्रेष्ठ ब्राह्मण को बुलाने का आदेश दिया गया था। तब पुरा देश भ्रमण के बाद सात गोत्र के ब्राह्मण आये, जो पुरे के पुरे '''सारस्वत ब्राह्मण''' थे । ये इनकी श्रेष्ठता का प्रमाण है । सारस्वत ब्राह्मण के कई गोत्र होते है। राजस्थान मे ( ओझा बड़े ओझा ' छोटे ओझा खातडिया इत्यादि प्रमुख है। लेकिन उत्तरप्रदेश मे ( चील ओझा ' मुड़िया ओझा व अवस्थी प्रमुख है)
[[कल्हण]] के ''[[राजतरंगिणी]]'' (१२वीं सदी) में [[विन्ध्याचल पर्वत शृंखला|विन्ध्याचल]] के उत्तर में रहने वाले पाँच पंच गौड ब्राह्मणों में से एक है।<ref>{{cite book |url=https://books.google.com/books?id=lXyWE6KbG8oC&pg=PA168 |title=Caste in Life: Experiencing Inequalities |editor=डी॰ श्याम बाबू और रविन्द्र एस॰ खरे |publisher=पीयर्सन एजुकेशन इंडिया |year=2011 |isbn=9788131754399 |page=168 |language=en}}</ref>