"प्राचीन भारतीय विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी": अवतरणों में अंतर

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{{भारतीय इतिहास}}
 
'''प्राचीन भारतीय विज्ञान तथा तकनीक''' को जानने के लिये प्राचीन [[साहित्य]] और [[पुरातत्वशास्त्र|पुरातत्व]] का सहारा लेना पड़ता है। प्राचीन भारत का साहित्य अत्यन्त विपुल एवं विविधतासम्पन्नविविधता सम्पन्न है। इसमें [[धर्म]], [[दर्शनशास्त्र|दर्शन]], [[भाषा]], [[व्याकरणशिक्षा (वेदांग)|शिक्षा]] आदि के अतिरिक्त [[गणित]], [[ज्योतिष]], [[सैन्य विज्ञान]], [[आयुर्वेद]], [[रसायन]], [[धातुकर्म]], आदि भी वर्ण्यविषय रहे हैं।<ref>{{citation |first=Meera |last=nda |title=Hindutva's science envy |url=http://www.frontline.in/science-and-technology/hindutvas-science-envy/article9049883.ece |newspaper=Frontline |date=16 September 2016 |accessdate=14 October 2016}}</ref>
 
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में प्राचीन भारत के कुछ योगदान निम्नलिखित हैं-<ref>[http://www.crystalinks.com/indiascience.html Science, Medicine, Technology in Ancient India]</ref><ref>[https://sites.google.com/site/akhandshastra/home अखण्ड शास्त्र]</ref>
 
* '''[[गणित]]''' - वैदिक साहित्य [[शून्य]] के कांसेप्ट, [[बीजगणित]] की तकनीकों तथा [[अल्गोरिद्म|कलन-पद्धति]], [[वर्गमूल]], [[घनमूल]] के कांसेप्ट से भरा हुआ है।
 
* '''[[खगोल शास्त्र|खगोलविज्ञान]]''' - [[ऋग्वेद]] (2000 ईसापूर्व) में खगोलविज्ञान का उल्लेख है।
 
* '''खेल''' - [[शतरंज]], [[लुडो]], [[साँप-सीढ़ी]] एवं [[ताश]] के खेलों का जन्म प्राचीन भारत में ही हुआ।
 
* '''[[ललित कला]]''' - वेदों का पाठ किया जाता था जो सस्वर एवं शुद्ध होना आवश्यक था। इसके फलस्वरूप वैदिक काल में ही [[ध्वनि]] एवं [[ध्वनिकी]] का सूक्ष्म अध्ययन आरम्भ हुआ।
 
*'''[[ज्योतिष]]''' -
 
 
* '''[[खगोल शास्त्र|खगोलविज्ञान]]''' - [[ऋग्वेद]] (2000 ईसापूर्व) में खगोलविज्ञान का उल्लेख है।
 
* '''[[भौतिक शास्त्र|भौतिकी]]''' - ६०० ईसापूर्व के भारतीय दार्शनिक ने [[परमाणु]] एवं [[आपेक्षिकता सिद्धांत|आपेक्षिकता के सिद्धान्त]] का स्पष्ट उल्लेख किया है।
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* '''[[आयुर्विज्ञान]] एवं [[आयुर्वेद]]''' - लगभग ८०० ईसापूर्व भारत में चिकित्सा एवं [[शल्यचिकित्सा|शल्यकर्म]] पर पहला ग्रन्थ का निर्माण हुआ था।
 
 
*'''[[सैन्य विज्ञान]]'''
 
* '''[[सिविल इंजीनियरी]] एवं [[वास्तु शास्त्र|वास्तुशास्त्र]]''' - [[मोहन जोदड़ो|मोहनजोदड़ो]] एवं [[हड़प्पा]] से प्राप्त नगरीय सभयता उस समय में उन्नत सिविल इंजीनियरी एवं आर्किटेक्चर के अस्तित्व कको प्रमाणित करती है।