"अहीर": अवतरणों में अंतर
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ऐतिहासिक दृष्टिकोण से, अहीरों ने 108 A॰D॰ मे मध्य भारत मे स्थित 'अहीर बाटक नगर' या 'अहीरोरा' व उत्तर प्रदेश के झाँसी जिले मे [[अहिरवाड़ा]] की नीव रखी थी। रुद्रमूर्ति नामक अहीर अहिरवाड़ा का सेनापति था जो कालांतर मे राजा बना। माधुरीपुत्र, ईश्वरसेन व शिवदत्त इस बंश के मशहूर राजा हुये, जो बाद मे यादव राजपूतो मे सम्मिलित हो गये।<ref name=केएसएस1/>
अहीरों की परंपराएं उनके लिए एक राजपूत मूल का दावा करती हैं और कहानी यह बताती है कि जब वृंदावन में कृष्ण का अवतार हुआ था, तब कुछ दानवों ने उनकी जनजाति के पूर्वजों के पशुओं को चुरा लिया, और उन्हें भी मार डाला था। फिर कृष्ण, पशुओं को वापिस ले आये और उनकी देखभाल के लिए अपनी सर्वज्ञता से, एक मनुष्य को बनाया। उसके वंशज, अहीरों के नाम से जाने जाते थे।<ref>{{cite web | url=https://books.google.co.in/books?id=23EIAAAAQAAJ&pg=RA3-PA90&dq=ahir+rajput&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwic0_HH5fTnAhUEjuYKHQKZADoQ6AEIMjAB#v=snippet&q=The%20Ahirs%20their%20traditions%20claim%20for%20them%20a%20Rajput%20origin&f=false | title=Final Report on the Settlement of Land Revenue in the Delhi District, Carried on 1872-77, by Oswald Wood, and Completed 1878-80, by R. Maconachie | publisher=Printed at the Victoria Press, 1882| accessdate=30 May 2007| page=90}}</ref>
मेगास्थनीज के वृतांत व महाभारत के विस्तृत अध्ययन के बाद रूबेन इस निष्कर्ष पर पहुँचे कि " भगवान कृष्ण एक गोपालक नायक थे तथा गोपालकों की जाति अहीर ही कृष्ण के असली वंशज हैं, न कि कोई और राजवंश।"<ref>{{cite book|first1=Allan|last1=Dahlaquist|title=Megasthenes and Indian Religion|date=1996|publisher=Motilal Banarsidass Publ|isbn=9788120813236|page=85|url=https://books.google.co.in/books?id=xp35-8gTRDkC&pg=PA85&dq=ahir+dynasty&hl=en&sa=X&ved=0ahUKEwiVmbL9nNPPAhXMQ48KHdLZDt44FBDoAQgaMAA#v=onepage&q=ahir%20dynasty&f=false|accessdate=11 अक्तूबर 2016}}</ref>
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