"वो कौन थी (1964 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति 17:
== संक्षेप ==
यहाँ से फ़िल्म की कास्टिंग शुरु होती है।<br />
डा॰ आनन्द जिस अस्पताल में काम करते हैं वहाँ एक वकील डा॰ सिंह ([[के एन सिंह]]) (जो कि उस अस्पताल के मुख्य अधिकारी हैं) से आकर कहता है कि यदि डा॰ आनन्द का मानसिक संतुलन ठीक है तो उनके किसी रिश्तेदार ने उनके लिये लाखों की जायदाद छोड़ी है अन्यथा यह जायदाद किसी दूसरे रिश्तेदार को मिल जायेगी क्योंकि डा॰ आनन्द के ख़ानदान में मानसिक असंतुलन का इतिहास है। डा॰ सिंह हँसकर उस वकील को वह सर्टिफ़िकेट दे देते हैं। डा॰ सिंह की लड़की डा॰ लता भी उसी अस्पताल में काम करती है और मन ही मन डा॰ आनन्द को चाहती भी है। डा॰ आनन्द को मिलने के लिये अस्पताल में उनका दूर का भाई रमेश ([[प्रेम चोपड़ा]]) भी आता है।<br />
पंक्ति 23:
डा॰ आनन्द की एक प्रेमिका है जिसका नाम है सीमा ([[हेलन]])। उसका ख़ून हो जाता है। डा॰ आनन्द इस बात से उदासी में चले जाते हैं। उनका विवाह उनकी माँ के कहने पर जिस लड़की से होता है वह उनकी माँ की बहन की पड़ोसी एक अनाथ है जिसे डा॰ आनन्द की माँ ने भी पहले नहीं देखा है और उसका नाम भी इत्तफ़ाक़ से संध्या होता है और उसकी सूरत हूबहू उसी संध्या से मिलती है जो फ़िल्म की शुरुआत में उनसे मिली थी। उसे देखकर अब डा॰ आनन्द का मानसिक संतुलन बिगड़ने लगता है और उनको डा॰ सिंह के कहने पर डा॰ लता और उनकी माँ के साथ [[शिमला]] भेज दिया जाता है जहाँ फिर वही लड़की उनको दीखती है और वह उसके बहकावे में ख़ुदक़शी करने जा ही रहे होते हैं कि तभी डा॰ लता उनको बचा लेती हैं।<br />
वापस आकर डा॰ आनन्द अस्पताल में भर्ती हो जाते हैं लेकिन एक दिन संध्या उनको बहलाकर उसी हवेली के छज्जे तक ले कर जाती है लेकिन वहाँ तभी दूसरी संध्या आ जाती है और डा॰ आनन्द को आगाह कर देती है। दोनों संध्याओं को एक साथ देखकर डा॰ आनन्द इस फ़रेबी संध्या की ओर बढ़ते हैं लेकिन तभी फ़रेबी संध्या के पांव छज्जे से अंदर धूप आने वाले कांच पर पड़ते हैं और वह गिरकर मर जाती है।<br />
फिर रमेश डा॰ आनन्द के सामने आता है और बताता है कि वह जायदाद उसे मिल जाती यदि डा॰ आनन्द पागल हो जाते या मर जाते। रमेश डा॰ आनन्द को बताता है कि उसी ने सीमा का ख़ून करवाया था क्योंकि वह चाहता था कि डा॰ आनन्द का विवाह संध्या से संपन्न हो ताकि उसकी तरक़ीब क़ामयाब हो जाए। दोनों में हाथापाई होती है और अंत में पुलिस पहुँच जाती है। पुलिस के अफ़सर डा॰ आनन्द को बताते हैं कि संध्या की एक जुड़वा बहन भी थी जिसका पता संध्या को भी नहीं था (लेकिन रमेश को था) क्योंकि संध्या के बचपन में ही उसके माँ-बाप अलग हो गये थे। संध्या अपने पिता के साथ और उसकी जुड़वा उसकी माँ के साथ रहने लगे। जुड़वा ग़लत आदतों में पड़ गई और रमेश के चंगुल में आकर ग़लत काम करने लग गई थी। अंत में डा॰ आनन्द और संध्या का मिलन हो जाता है।
== चरित्र ==
== मुख्य कलाकार ==
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