"गुर्जर": अवतरणों में अंतर

[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
गुर्जर
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
HinduKshatrana द्वारा सम्पादित संस्करण 4636576 पर पूर्ववत किया। (ट्विंकल)
टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना
पंक्ति 1:
{{अनेक समस्याएँ|मूल शोध=अप्रैल 2016|विकिफ़ाइ=अप्रैल 2016|स्रोत कम=अप्रैल 2016}}
[[चित्र:Statue of Gurjar Samraat Mihir Bhoj Mahaan in Bharat Upvan ofAkshardham Mandir New Delhi.jpg|thumb|240px|गुर्जर सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति:भारत उपवन, अक्षरधाम मन्दिर, नई दिल्ली]]
'''गुर्जर''' समाज, प्राचीन एवं प्रतिष्ठित समाज में से एक है। यह समुदाय गुज्जर, गूजर, गोजर, गुर्जर, गूर्जर और '''वीर गुर्जर''' नाम से भी जाना जाता है। गुर्जर मुख्यत: [[उत्तर भारत]], [[पाकिस्तान]] और [[अफ़्ग़ानिस्तान]] में बसे हैं। इस जाति का नानाम [[अफ़्ग़ानिस्तान के राष्ट्रगान]] में भी आता है। गुर्जरों के ऐतिहासिक प्रभाव के कारण उत्तर भारत और पाकिस्तान के बहुत से स्थान गुर्जर जाति के नाम पर रखे गए हैं, जैसे कि भारत का [[गुजरात राज्य]], [[पाकिस्तानी पंजाब]] का [[गुजरात ज़िला]] और [[गुजराँवाला ज़िला]] और [[रावलपिंडी ज़िले]] का [[गूजर ख़ान]] शहर।
 
; आधुनिक स्थिति
पंक्ति 13:
कुछ इतिहासकार [[कुषाण|कुषाणों]] को गुर्जर बताते हैं तथा [[कनिष्क]] के [[रबातक शिलालेख]] पर अंकित 'गुसुर' को गुर्जर का ही एक रूप बताते हैं। उनका मानना है कि गुशुर या गुर्जर लोग विजेता के रूप में भारत में आये क्योंकि गुशुर का अर्थ 'उच्च कुलीन' होता है।<ref name="ref58vehaf">[http://books.google.co.in/books?id=HPa5TwBTd8oC&pg=PA94&dq Bharatiya Samantvaad], Ramsharan Sharma, राजकमल प्रकाशन</ref>.
 
== गुर्जर साम्राज्य ==
गुर्जर समाज एक चरवाहा जाती है इन्हें प्राचीन काल मे ग्वाला कहा जाता था ="ref64libuj">[http://books.google.co.in/books?id=3aeQqmcXBhoC&pg=PA195&dq India: a history], John Keay, Grove Press, Page 95, 2001, ISBN 978-0-8021-3797-5</ref>
इतिहास के अनुसार ५वी सदी में [[भीनमाल]] गुर्जर सम्राज्य की राजधानी थी तथा इसकी स्थापना गुर्जरो ने की थी। [[भरुच]] का सम्राज्य भी गुर्जरो के अधीन था। चीनी यात्री [[ह्वेन्सान्ग]] अपने लेखो में गुर्जर सम्राज्य का उल्लेख करता है तथा इसे 'kiu-che-lo' बोलता है।<ref name="ref06vefid">[http://persian.packhum.org/persian/index.jsp?serv=pf&file=80201011&ct=90 Juzr or Jurz], Persian Texts in Translation, The Packard Humanities Institute, Accessed 2007-05-31</ref> छठी से 12वीं सदी में गुर्जर कई जगह सत्ता में थे। [[गुर्जर-प्रतिहार वंश]] की सत्ता [[कन्नौज]] से लेकर [[बिहार]], [[उत्तर प्रदेश]], [[महाराष्ट्र]] और [[गुजरात]] तक फैली थी। [[मिहिरभोज]] को गुर्जर-प्रतिहार वंश का बड़ा शासक माना जाता है और इनकी लड़ाई [[बंगाल]] के [[पाल वंश]] और दक्षिण-भारत के [[राष्ट्रकूट]] शासकों से होती रहती थी। 12वीं सदी के बाद प्रतिहार वंश का पतन होना शुरू हुआ और ये कई हिस्सों में बँट गए जैसे राजपूत वंश (चौहान, सोलांकी, चदीला और परमार)| अरब आक्रान्तो ने गुर्जरों की शक्ति तथा प्रशासन की अपने अभिलेखों में भूरि-भूरि प्रशंसा की है।<ref name="ref64libuj">[http://books.google.co.in/books?id=3aeQqmcXBhoC&pg=PA195&dq India: a history], John Keay, Grove Press, Page 95, 2001, ISBN 978-0-8021-3797-5</ref>
<ref name="Ramesh Chandra Majumdar 1977 153">{{cite book|title=The History and Culture of the Indian People: The classical age|author=Ramesh Chandra Majumdar|coauthor=Achut Dattatrya Pusalker, A. K. Majumdar, Dilip Kumar Ghose, Vishvanath Govind Dighe, Bharatiya Vidya Bhavan|publisher=Bharatiya Vidya Bhavan|year=1977|page=153}}</ref>
इतिहासकार बताते हैं कि मुगल काल से पहले तक लगभग पूरा [[राजस्थान]] तथा [[गुजरात]], 'गुर्जरत्रा' (गुर्जरो से रक्षित देश) या गुर्जर-भूमि के नाम से जाना जाता था।<ref name="Ramesh Chandra Majumdar 1977 153">{{cite book|title=The History and Culture of the Indian People: The classical age|author=Ramesh Chandra Majumdar|coauthor=Achut Dattatrya Pusalker, A. K. Majumdar, Dilip Kumar Ghose, Vishvanath Govind Dighe, Bharatiya Vidya Bhavan|publisher=Bharatiya Vidya Bhavan|year=1977|page=153}}</ref>[[अरब]] लेखकों के अनुसार गुर्जर उनके सबसे भयंकर शत्रु थे। उन्होंने ये भी कहा है कि अगर गुर्जर नहीं होते तो वो भारत पर 12वीं सदी से पहले ही अधिकार कर लेते।<ref name="ref64libuj"/>
१८वी सदी में भी गुर्जरो के कुछ छोटे छोटे राज्य थे। दादरी के गुर्जर राजा, [[दरगाही सिंह]] के अधीन १३३ ग्राम थे। [[मेरठ]] का राजा [[गुर्जर नैन सिंह]] था तथा उसने परिक्शित गढ का पुन्रनिर्माण करवाया था। भारत गजीटेयर के अनुसार [[१८५७ की क्रान्ति]] मे, गुर्जर तथा ब्रिटिश के बहुत बुरे दुश्मन साबित हुए। गुर्जरो का [[1857]] की क्रान्ति में भी अहम योगदान रहा है। [[कोतवाल धानसिंह गुर्जर]] [[1857]] की क्रान्ति का शहीद था।।<ref name="Ramesh Chandra Majumdar 1977 153"/>[[पन्ना धाय]] जैसी वीरांगना पैदा हुई, जिसने अपने बेटे चन्दन का बलिदान देकर [[उदय सिंह]] के प्राण बचाए| [[बिशालदेव गुर्जर बैसला]] ([[अजमेर]] शहर के संस्थापक) जैसे वफादार दोस्त हुए जिन्होने [[दिल्ली]] का शासन तंवर राजाओं को दिलाने में पूरी जी- जान लगा दीये| [[विजय सिंह पथिक]] जैसे क्रांतिकारी नेता हुए, जो राजा-महाराजा किसानो को लूटा करते थे, उनके खिलाफ आँदोलन चलाकर उन्होंने किसानो को मजबूत किया। मोतीराम बैसला जैसे पराक्रमि हुए जिन्होने मुगलो औऱ जाटो को आगरा में ही रोक दिया। धन सिंह जी कोतवाल हुए, जिन्होंने सबसे पहले मेरठ में अंग्रेजों से लड़ने का विगुल बजाया, [[सरदार वल्लभ भाई पटेल]] जैसा महापुरुष पैदा हुआ, जिन्होंने पूरे देश के राजा-महाराजो की विरासत को एक करके नवभारत का निर्माण किया। इस देश की रक्षा के लिए इस '''वीर गुर्जर''' जाति ने लाखो बच्चो की कुर्बानियाँ दी थी, अंग्रेजों की नाक में नकेल कसने वाले गुर्जरों को अंग्रेजों ने क्रिमिनल ट्राइब (यानी बदमाश समुदाय) कह कर पुकारा था। इसलिए उस वक़्त अंग्रेज़ों की सरकार ने गुर्जरों को बागी घोषित कर दिया था, इसी वजह से गुर्जर जंगलों और पहाड़ों में रहने लगे और इसी वजह गुर्जर पढाई-लिखाई से वंचित रह गये।<ref name="ref06vefid"/>.
 
== स्रोत ==