"रविदास": अवतरणों में अंतर

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सतगुरुगुरू रविदास जी भारत के उन चुनिंदा महापुरुषों में से एक हैं, जिन्होंने अपने रूहानी वचनों से सारे संसार को एकता, भाईचाराभाईचारे, मिल-जुल रहने, किसी से भेदभाव ना करने पर जोर दिया।दिया, आपगुरू रविदास जी की अनूप महिमा को देख कईकईंं राजे और -रानियां आपकीउनकी शरण में आए।आए, आपजैसे ने- जीवनराजा भरनागरमल, समाजराजा मेंसिंकदर फैलीलोधी, कुरीतिराजा जैसेपीपा, जातराजा पातभैनसिंह, केरानी अंतमीराबाई, केरानी लिएझालाबाई, कामरानी पानवती आदि, किया।
 
गुरू रविदास जी ने जीवन-भर भारत देश में में फैली कुरीतियां जैसे - जाति भेदभाव, धर्म-भेदभाव अंत के लिए काम किया,
आप के सेवक आप को "" सतगुरु"", ""जगतगुरू"" आदि नामों से सत्कार करतहैं। आप ने अपनी दया दृष्टि से करोड़ों लोगों का उद्धार किया जैसे:*मीरा बाई,*सिकंदर लोधी,* राजा पीपा,* राजा नागरमल*ं।
 
गुरू रविदास जी को " संत शिरोमणि ", " जगतगुुुरू ", " सतगुरू " आदि उपाधियो से नवाजा गया है, गुरू रविदास जी ने अपने विचारों से करोड़ों लोगों का उद्धार किया,
 
== जीवन ==
गुरू रविदास (रैदास) जी का जन्म सीर गोवर्धनपुुुर [[काशी]] में(उत्तर प्रदेेेश) में माघ पूर्णिमा दिन रविवार को संवत 13881377 को हुआ था।उनकेथा, उनके जन्म के बारे में एक दोहा प्रचलित है ,
 
चौदह सेसौ तैंतीस कि, माघ सुदी पन्दरास । दुखियों के ,
 
दुखियों के
कल्याण हित, प्रगटे श्रीगुरू रविदास।
 
उनके पिता राहू तथा माता का नाम करमा था।था, उनकी पत्नी का नाम लोना, बताया जातागुरू है।रविदास रैदासजी ने साधु-सन्तों की संगति से पर्याप्त व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया था।था, वे जूते बनाने का काम किया करते थे औऱ ये उनका व्यवसाय था और उन्होंने अपना काम पूरी लगन तथा परिश्रम से करते थे और समय से काम को पूरा करने पर बहुत ध्यान देते थे।
चौदह से तैंतीस कि माघ सुदी पन्दरास । दुखियों के
कल्याण हित प्रगटे श्री रविदास।
उनके पिता राहू तथा माता का नाम करमा था। उनकी पत्नी का नाम लोना बताया जाता है। रैदास ने साधु-सन्तों की संगति से पर्याप्त व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया था। वे जूते बनाने का काम किया करते थे औऱ ये उनका व्यवसाय था और उन्होंने अपना काम पूरी लगन तथा परिश्रम से करते थे और समय से काम को पूरा करने पर बहुत ध्यान देते थे।
 
उनकी समयानुपालन की प्रवृति तथा मधुर व्यवहार के कारण उनके सम्पर्क में आने वाले लोग भी बहुत प्रसन्न रहते थे।प्रारम्भ से ही रविदास