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'''किशोरी लाल गोस्वामी''' (१८६५ - १९३२ ई०) हिंदी के
'''किशोरी लाल गोस्वामी''' (१८६५ - १९३२ ई०) का जन्म काशी में सन् १८६५ ई० में हुआ। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा काशी में ही हुई। ये मूल रूप से कहानीकार तथा उपन्यासकार थे। इनकी पहली कहानी "इन्दुमती", [[सरस्वती पत्रिका]] में सम्बत् १९५७ में प्रकाशित हुई।<ref>हिन्दी साहित्य का इतिहास, [[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]], [[नागरी प्रचारिणी सभा]] काशी, सम्वत् २०३८ वि०, पृष्ठ ३४३</ref> इन्होंने उपन्यास मासिक पत्र का प्रकाशन १८९८ ई० में प्रारम्भ किया। इन्होंने लगभग ६० उपन्यास लिखे। इनके उपन्यासों में 'रजिया बेगम', "त्रिवेणी", "प्रणयिनी परिणय", 'लवंग लता', 'आदर्श बाला', 'रंग महल में हलाहल', 'मालती माधव', 'मदनमोहिनी' तथा 'गुलबहार' प्रमुख हैं। इनका निधन सन् १९३२ ई० में हुआ।
कहानीकार तथा उपन्यासकार थे।
 
'''किशोरी लाल गोस्वामी''' (१८६५ - १९३२ ई०) का जन्म काशी में सन् १८६५ ई० में हुआ। इनकी प्रारम्भिक शिक्षा काशी में ही हुई। ये मूल रूप से कहानीकार तथा उपन्यासकार थे। इनकी पहली कहानी "इन्दुमती", [[सरस्वती पत्रिका]] में सम्बत् १९५७ में प्रकाशित हुई।<ref>हिन्दी साहित्य का इतिहास, [[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]], [[नागरी प्रचारिणी सभा]] काशी, सम्वत् २०३८ वि०, पृष्ठ ३४३</ref> इन्होंने उपन्यास मासिक पत्र का प्रकाशन १८९८ ई० में प्रारम्भ किया। इन्होंने लगभग ६० उपन्यास लिखे। इनके उपन्यासों में 'रजिया बेगम', "त्रिवेणी", "प्रणयिनी परिणय", 'लवंग लता', 'आदर्श बाला', 'रंग महल में हलाहल', 'मालती माधव', 'मदनमोहिनी' तथा 'गुलबहार' प्रमुख हैं। इनका निधन सन् १९३२ ई० में हुआ।
 
== सन्दर्भ ==