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[[चित्र:Sivakempfort.jpg|thumb|right|200px|पद्मासन मुद्रा में यौगिक ध्यानस्थ शिव-मूर्ति]]
'''योग''' [[भारत]] और [[नेपाल]] में प्रचलित एक आध्यात्मिक प्रकिया को कहते हैं जिसमें [[शरीर]], [[मन]] और [[आत्मा]] को एक साथ लाने (योग) का काम होता है। यह शब्द - प्रक्रिया और धारणा - [[हिन्दू धर्म]],[[जैन धर्म]] और [[बौद्ध धर्म]] में [[ध्यान]] प्रक्रिया से सम्बन्धित है। योग शब्द भारत से बौद्ध [[धर्म]] के साथ [[चीन]], [[जापान]], [[तिब्बत]], दक्षिण पूर्व एशिया और [[श्री लंका]] में भी फैल गया है और इस समय सारे सभ्य जगत् में लोग इससे परिचित हैं।
इतनी प्रसिद्धि के बाद पहली बार ११ दिसम्बर २०१४ को [[संयुक्त राष्ट्रसंघ|संयुक्त राष्ट्र महासभा ]] ने प्रत्येक वर्ष २१ जून को [[विश्व योग दिवस]] के रूप में मान्यता दी है। [[परिभाषा]] ऐसी होनी चाहिए जो अव्याप्ति और अतिव्याप्ति दोषों से मुक्त हो, योग शब्द के वाच्यार्थ का ऐसा लक्षण बतला सके जो प्रत्येक प्रसंग के लिये उपयुक्त हो और योग के सिवाय किसी अन्य वस्तु के लिये उपयुक्त न हो। [[भगवद्गीता]] प्रतिष्ठित ग्रंथ माना जाता है। उसमें योग शब्द का कई बार प्रयोग हुआ है, कभी अकेले और कभी सविशेषण, जैसे बुद्धियोग, सन्यासयोग, कर्मयोग। वेदोत्तर काल में भक्तियोग और हठयोग नाम भी प्रचलित हो गए हैं। पतंजलि योगदर्शन में क्रियायोग शब्द देखने में आता है। पाशुपत योग और माहेश्वर योग जैसे शब्दों के भी प्रसंग मिलते है। इन सब स्थलों में योग शब्द के जो अर्थ हैं वह एक दूसरे से भिन्न हैं परन्तु इस प्रकार के विभिन्न प्रयोगों को देखने से यह तो स्पष्ट हो जाता है, कि योग की परिभाषा करना कठिन कार्य है।
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