"गुर्जर": अवतरणों में अंतर

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गुर्जर जाती
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[[चित्र:Statue of Gurjar Samraat Mihir Bhoj Mahaan in Bharat Upvan ofAkshardham Mandir New Delhi.jpg|thumb|240px|गुर्जरप्रतिहार सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति:भारत उपवन, अक्षरधाम मन्दिर, नई दिल्ली]]
'''गुर्जर''' एक चरवाहा समाज हैं।
'''गुर्जर''' समाज, प्राचीन एवं प्रतिष्ठित समाज में से एक है। यह समुदाय गुज्जर, गूजर, गोजर, गुर्जर, गूर्जर और '''वीर गुर्जर''' नाम से भी जाना जाता है। गुर्जर मुख्यत: [[उत्तर भारत]], [[पाकिस्तान]] और [[अफ़्ग़ानिस्तान]] में बसे हैं। इस जाति का नाम [[अफ़्ग़ानिस्तान के राष्ट्रगान]] में भी आता है। गुर्जरों के ऐतिहासिक प्रभाव के कारण उत्तर भारत और पाकिस्तान के बहुत से स्थान गुर्जर जाति के नाम पर रखे गए हैं, जैसे कि भारत का [[गुजरात राज्य]], [[पाकिस्तानी पंजाब]] का [[गुजरात ज़िला]] और [[गुजराँवाला ज़िला]] और [[रावलपिंडी ज़िले]] का [[गूजर ख़ान]] शहर।
 
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; आधुनिक स्थिति
 
प्राचीन काल में युद्धसाधारण कलाव्यवसाय में निपुण रहे गुर्जर मुख्य रूप से [[खेती]] और [[पशुपालन]] के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। गुर्जर अच्छे योद्धा माने जाते थे और इसीलिए [[भारतीय सेना|सैनिक]] में अभी भीहैं इनकी अच्छी ख़ासी संख्या है| गुर्जर [[महाराष्ट्र]] ([[जलगाँव जिला]]), [[दिल्ली]], [[राजस्थान]], [[हरियाणा]], [[मध्य प्रदेश]], [[उत्तर प्रदेश]], [[हिमाचल प्रदेश]], [[जम्मू कश्मीर]] जैसे राज्यों में फैले हुए हैं। राजस्थान में सारे गुर्जर हिंदू हैं। सामान्यत: गुर्जर [[हिन्दू]], [[सिख]], [[मुस्लिम]] आदि सभी धर्मो में देखे जा सकते हैं। मुस्लिम तथा सिख गुर्जर, हिन्दू गुर्जरो से ही परिवर्तित हुए थे। पाकिस्तान में गुजरावालां, फैसलाबाद और लाहौर के आसपास इनकी अच्छी ख़ासी संख्या है।
 
== उत्पत्ति ==
गुर्जरप्राचीन काल अभिलेखोमे क्षत्रिय राजा अपने पास जो दसिया सेवा के हिसाबलिए सेरखते येथे [[सूर्यवंशी]]गुर्जरो याको [[रघुवंश|रघुवंशी]]उनकी हैं।संतान प्राचीनमाना महाकविजाता [[राजशेखर]]है नेइसी गुर्जरोंकारण गुर्जरो को 'रघुकुल-तिलक'सेवक तथाभी 'रघुग्रामिणी'कहा कहाजाता है है।<ref name="ref99lomof">[http://books.google.co.in/books?id=gUAvuYu-otEC&pg=PA64&dq Some aspects of ancient Indian culture], Devadatta Ramakrishna Bhandarkar, Asian Educational Services, Page 64, 1989, ISBN 978-81-206-0457-5</ref> ७ वी से १० वी शतब्दी के गुर्जर शिलालेखो पर सुर्यदेव की कलाकृतियाँ भी इनके सुर्यवंशी होने की पुष्टि करती हैं।<ref name="ref93rafah">[http://books.google.com/books?id=A00VAAAAMAAJ Sun-worship in ancient India], Lalta Prasad Pandey, Motilal Banarasidass, Page 245, 1971</ref> [[राजस्थान]] में आज भी गुर्जरों को सम्मान से 'मिहिर' बोलते ओर सेवक कहते हैं, जिसका अर्थ '[[सूर्य]]' होता है<ref>Gazetteer of the Bombay Presidency, Volume 9, Part 1, Bombay (India : State), Govt. Central Press, Page 479, 1901</ref><ref name="ref87doqeb">Śri Śaṅkara Bhagavatpādācārya's Saundaryalaharī, Chandrasekharendra Saraswati (Jagatguru Sankaracharya of Kamakoti), Bharatiya Vidya Bhavan, Page 339, 2001</ref> कुछ इतिहासकारों के अनुसार गुर्जर [[मध्य एशिया]] के [[कॉकस क्षेत्र]] (अभी के [[आर्मेनिया]] और [[जॉर्जिया]]) से आए [[आर्य]] योद्धा थे। कुछ विद्वान इन्हे विदेशी भी बताते हैं क्योंकि गुर्जरों का नाम एक अभिलेख में [[हूण|हूणों]] के साथ मिलता है, परन्तु इसका कोई एतिहासिक प्रमाण नहीं है।
 
[[संस्कृत]] के विद्वानों के अनुसार, गुर्जर शुद्ध संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थगुसर 'शत्रु का नाश करने वाला' अर्थात 'शत्रु विनाशक' होता है।<ref name="ref04vugiq">[http://books.google.com/?id=zxtuAAAAMAAJ&q=gurjar+in+ramayan&dq=gurjar+in+ramayan&cd=4 Gujjars of Jammu and Kashmir], Indira Gandhi Rashtriya Manav Sangrahalaya, Page 4, ''... 'Gurjar' is a sanskrit word which has been explained thus: Gur+Ujjar; 'Gur' means 'enemy' and 'ujjar' means 'destroyer'. The word means 'Destroyer of the enemy' ...''</ref><ref name="ref28cocej">[http://books.google.com/?id=CsjUAAAAMAAJ&cd=4&dq=Gurjar+origin&q=gurjar#search_anchor Census of India, Volume 20, Part 6, Issue 27], India. Office of the Registrar General, Manager of Publications, Page 7, 1961, ''... These people used to enjoy a title of 'Gorjan' (Leader of masses).In sanskrit the word Gurjar was used and now-a-days Gujjar is used in place of Gurjar which predicts the qualities of a warrior community ...''</ref> प्राचीन महाकवि राजशेखर ने गुर्जर नरेश महिपाल को अपने [[महाकाव्य]] में ''दहाड़ता गुर्जरगुसर'' कह कर सम्बोधित किया है।<ref name="ref86jihoq">Gazetteer of the Bombay Presidency, Volume 9, Part 1, Bombay (India : State), Govt. Central Press, Page 481, 1901, ''... With the 'roaring Gujar' an ephithet in the Kupadvanj Rashtrakutta grant of AD 910 ...''</ref>
 
कुछ इतिहासकार [[कुषाण|कुषाणों]] को गुर्जर बताते हैं तथा [[कनिष्क]] के [[रबातक शिलालेख]] पर अंकित 'गुसुर' को गुर्जर का ही एक रूप बताते हैं। उनका मानना है कि गुशुर या गुर्जर लोग विजेता के रूप में भारत में आये क्योंकि गुशुर का अर्थ 'उच्च कुलीन' होता है।<ref name="ref58vehaf">[http://books.google.co.in/books?id=HPa5TwBTd8oC&pg=PA94&dq Bharatiya Samantvaad], Ramsharan Sharma, राजकमल प्रकाशन</ref>.
 
== गुर्जर साम्राज्य ==
इतिहास के अनुसार ५वी सदी में [[भीनमाल]] गुर्जर सम्राज्य की राजधानी थी तथा इसकी स्थापना गुर्जरो ने की थी। [[भरुच]] का सम्राज्य भी गुर्जरो के अधीन था। चीनी यात्री [[ह्वेन्सान्ग]] अपने लेखो में गुर्जर सम्राज्य का उल्लेख करता है तथा इसे 'kiu-che-lo' बोलता है।<ref name="ref06vefid">[http://persian.packhum.org/persian/index.jsp?serv=pf&file=80201011&ct=90 Juzr or Jurz], Persian Texts in Translation, The Packard Humanities Institute, Accessed 2007-05-31</ref> छठी से 12वीं सदी में गुर्जर कई जगह सत्ता में थे। [[गुर्जर-प्रतिहार वंश]] की सत्ता [[कन्नौज]] से लेकर [[बिहार]], [[उत्तर प्रदेश]], [[महाराष्ट्र]] और [[गुजरात]] तक फैली थी। [[मिहिरभोज]] को गुर्जर-प्रतिहार वंश का बड़ा शासक माना जाता है और इनकी लड़ाई [[बंगाल]] के [[पाल वंश]] और दक्षिण-भारत के [[राष्ट्रकूट]] शासकों से होती रहती थी। 12वीं सदी के बाद प्रतिहार वंश का पतन होना शुरू हुआ और ये कई हिस्सों में बँट गए जैसे राजपूत वंश (चौहान, सोलांकी, चदीला और परमार)| अरब आक्रान्तो ने गुर्जरों की शक्ति तथा प्रशासन की अपने अभिलेखों में भूरि-भूरि प्रशंसा की है।<ref name="ref64libuj">[http://books.google.co.in/books?id=3aeQqmcXBhoC&pg=PA195&dq India: a history], John Keay, Grove Press, Page 95, 2001, ISBN 978-0-8021-3797-5</ref>
इतिहासकार बताते हैं कि मुगल काल से पहले तक लगभग पूरा [[राजस्थान]] तथा [[गुजरात]], 'गुर्जरत्रा' (गुर्जरो से रक्षित देश) या गुर्जर-भूमि के नाम से जाना जाता था।<ref name="Ramesh Chandra Majumdar 1977 153">{{cite book|title=The History and Culture of the Indian People: The classical age|author=Ramesh Chandra Majumdar|coauthor=Achut Dattatrya Pusalker, A. K. Majumdar, Dilip Kumar Ghose, Vishvanath Govind Dighe, Bharatiya Vidya Bhavan|publisher=Bharatiya Vidya Bhavan|year=1977|page=153}}</ref>[[अरब]] लेखकों के अनुसार गुर्जर उनके सबसे भयंकर शत्रु थे। उन्होंने ये भी कहा है कि अगर गुर्जर नहीं होते तो वो भारत पर 12वीं सदी से पहले ही अधिकार कर लेते।<ref name="ref64libuj"/>
१८वी सदी में भी गुर्जरो के कुछ छोटे छोटे राज्य थे। दादरी के गुर्जर राजा, [[दरगाही सिंह]] के अधीन १३३ ग्राम थे। [[मेरठ]] का राजा [[गुर्जर नैन सिंह]] था तथा उसने परिक्शित गढ का पुन्रनिर्माण करवाया था। भारत गजीटेयर के अनुसार [[१८५७ की क्रान्ति]] मे, गुर्जर तथा ब्रिटिश के बहुत बुरे दुश्मन साबित हुए। गुर्जरो का [[1857]] की क्रान्ति में भी अहम योगदान रहा है। [[कोतवाल धानसिंह गुर्जर]] [[1857]] की क्रान्ति का शहीद था।।<ref name="Ramesh Chandra Majumdar 1977 153"/>[[पन्ना धाय]] जैसी वीरांगना पैदा हुई, जिसने अपने बेटे चन्दन का बलिदान देकर [[उदय सिंह]] के प्राण बचाए| [[बिशालदेव गुर्जर बैसला]] ([[अजमेर]] शहर के संस्थापक) जैसे वफादार दोस्त हुए जिन्होने [[दिल्ली]] का शासन तंवर राजाओं को दिलाने में पूरी जी- जान लगा दीये| [[विजय सिंह पथिक]] जैसे क्रांतिकारी नेता हुए, जो राजा-महाराजा किसानो को लूटा करते थे, उनके खिलाफ आँदोलन चलाकर उन्होंने किसानो को मजबूत किया। मोतीराम बैसला जैसे पराक्रमि हुए जिन्होने मुगलो औऱ जाटो को आगरा में ही रोक दिया। धन सिंह जी कोतवाल हुए, जिन्होंने सबसे पहले मेरठ में अंग्रेजों से लड़ने का विगुल बजाया, [[सरदार वल्लभ भाई पटेल]] जैसा महापुरुष पैदा हुआ, जिन्होंने पूरे देश के राजा-महाराजो की विरासत को एक करके नवभारत का निर्माण किया। इस देश की रक्षा के लिए इस '''वीर गुर्जर''' जाति ने लाखो बच्चो की कुर्बानियाँ दी थी, अंग्रेजों की नाक में नकेल कसने वाले गुर्जरों को अंग्रेजों ने क्रिमिनल ट्राइब (यानी बदमाश समुदाय) कह कर पुकारा था। इसलिए उस वक़्त अंग्रेज़ों की सरकार ने गुर्जरों को बागी घोषित कर दिया था, इसी वजह से गुर्जर जंगलों और पहाड़ों में रहने लगे और इसी वजह गुर्जर पढाई-लिखाई से वंचित रह गये।<ref name="ref06vefid"/>.
 
== स्रोत ==