"अलाउद्दीन खिलजी": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
||
पंक्ति 86:
=== चित्तौड़ आक्रमण एवं मेवाड़ विजय ===
[[मेवाड़]] के शासक राणा रतन सिंह थे , जिनकी राजधानी [[चित्तौड़गढ़|चित्तौड़]] थी। चित्तौड़ का क़िला सामरिक दृष्टिकोण से बहुत सुरक्षित स्थान पर बना हुआ था। इसलिए यह क़िला अलाउद्दीन की निगाह में चढ़ा हुआ था। कुछ इतिहासकारों ने
इसी के साथ मेवाड़ में रावल शाखा का अंत हुआ, कालांतर में दूसरी शाखा सिसोदिया वँश की थी, जिसके शासक "राणा" कहलाते थे
चित्तौड़ को पुनः स्वतंत्र कराने का प्रयत्न राजपूतों द्वारा जारी था। इसी बीच अलाउदीन ने ख़िज़्र ख़ाँ को वापस दिल्ली बुलाकर चित्तौड़ दुर्ग की ज़िम्मेदारी राजपूत सरदार मालदेव को सौंप दी। अलाउद्दीन की मृत्यु के पश्चात् गुहिलौत राजवंश के हम्मीरदेव ने मालदेव पर आक्रमण कर 1321 ई. में चित्तौड़ सहित पूरे मेवाड़ को आज़ाद करवा लिया। इस तरह अलाउद्दीन की मृत्यु के बाद चित्तौड़ एक बार फिर पूर्ण स्वतन्त्र हो गया।
|