"तोरमाण": अवतरणों में अंतर
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तोरमाण [[भारत]] वर्ष पर आक्रमण करने वाले हूणों का नेता था जिसने 500ई के लगभग [[मालवा]] पर अधिकार किया था। [[मिहिरकुल]] तोरमाण का ही पुत्र था, जिसने हूण साम्राज्य का विस्तार
[[अफ़ग़ानिस्तान]] तक किया।
तोरमाण ने कई विजय अभियान किये थे, एक बड़े विस्तृत भू-भाग पर अपना साम्राज्य स्थापित किया था।
अपनी विजयों के बाद उसने 'महाराजाधिराज' की उपाधि धारण की थी।
भारत के काफ़ी बड़े क्षेत्रफल पर उसने अपनी विजय पताकाएँ फहराई थीं।
उसका प्रभुत्व सम्भवत: [[मध्य प्रदेश|मध्यप्रदेश]] ,
बहुत बड़ी संख्या में तोरमाण के [[चाँदी]] के सिक्के बरामद हुए हैं।
[[file:toramana.jpg|thumb|300px| तोरमाण के सिक्के]]
[[File:Toramana gold coin circa 490-515.jpg|thumb|300px| तोरमाण का सोने का सिक्का जिसमे पीठ पर हिन्दू देवी [[लक्ष्मी]] का चित्र है(circa 490-515)]]
तोरमाण का संजली [[अभिलेख|शिलालेख]],[[मालवा]] और [[गुजरात]] पर उसके विजय और नियंत्रण की बात करता है। उसके क्षेत्र में [[उत्तर प्रदेश|उत्तर]] [[उत्तर प्रदेश|प्रदेश]], [[राजस्थान]] और [[कश्मीर]] भी शामिल था। वह संभवतः [[कौशाम्बी जिला|कौशांबी]] तक गया, जहाँ उसकी एक मुहर का पता चला था। १९८३ में खोजे गए रिस्तल [[अभिलेख|शिलालेख]] के अनुसार, [[मालवा]] के औलीकर राजा प्रकाशधर्म ने उसे हराया था।
तोरमाण का सुप्रसिद्ध पुत्र [[मिहिरकुल]] अथवा 'मिहिरगुल' लगभग 502 ई. में उसका उत्तराधिकारी बना<ref>
तोरमाण को [[राजतरंगिणी]] से,सिक्कों और शिलालेखों के माध्यम से जाना जाता है।
=== पंजाब शिलालेख ===
खुरा [[शिलालेख]] (495-500 ,[[पंजाब क्षेत्र|पंजाब]] में सॉल्ट रेंज से और अब लाहौर में), तोरमाण मध्य [[एशिया|एशियाई]] लोगों के अलावा [[भारतीय]] प्रतिगामी उपाधियों को स्वीकार करते हैं। यह मिश्रित [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] में,एक [[बौद्ध धर्म|बौद्ध]] [[अभिलेख]] है, जो महिषासक [[विद्यालय]] के सदस्यों को एक [[मठ]] ([[विहार]]) का उपहार,अभिलेखित करता है।
=== ग्वालियर का मिहिरकुल शिलालेख ===
{{Main|ग्वालियर प्रशस्ति}}[[भारत]] के उत्तरी मध्य प्रदेश के [[ग्वालियर]] से प्राप्त, [[मिहिरकुल]] के [[ग्वालियर]] शिलालेख में, जो कि [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] में लिखा गया है, [[तोरमाण]] इस रूप में वर्णित है:
" पृथ्वी का एक महान शासक, जो महान योग्यता का स्वामी एवं गौरवशाली तोमरना नाम से प्रसिद्ध था, जिसके द्वारा (उसकी) वीरता विशेष रूप से उसकी सत्यता से चित्रित थी, पृथ्वी न्यायोचित रूप के साथ शासित थी।"
[[श्रेणी:हूण साम्राज्य]]
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