"राजा मान सिंह": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: References removed यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
No edit summary
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 33:
राजा मानसिंह भारतवर्ष के अघोषित राजा थे, जो राजनीतिक विवशता के कारण अकबर के राजनीतिक मित्र भी थे ।
 
मानसिंह जी का कद अपने समकालीन राजाओ में सबसे बड़ा था । मानसिंह ने अकबर की रक्षा बहुत बार की, जिस कारण अकबर राजपाठ से निश्चिन्त हो गया ।। उस समय पठान भी भारत पर अधिकार चाहते थे, दोनो पक्षो से मानसिंह जी एक साथ लड़ना नही चाहते थे , अतः उन्होंने विदेशी शक्तियों का दो फाड़ करते हुए, मुगलो का साथ लिया, ओर मुगल सेना की मदद से पठानों को कुचल डाला । गौरी से लेकर गजनवी ओर इब्राहिम लोदी तक के अत्याचारों का सारा बदला मानसिंहजी ने ले लिया ।
 
मानसिंह जी के कारण ही आज जगन्नाथ पुरी का मंदिर मस्जिद नही बना । उड़ीसा के पठान सुल्तान ने जगन्नाथ पुरी के मंदिर को ध्वस्त करके मस्जिद बनाने का प्रयास किया था, जब इसकी सूचना राजा मानसिंहजी को मिली, तब उन्होंने अपने स्पेशल कमांडो उड़ीसा भेजे, लेकिन विशाल सेना के कारण सभी वीरगति को प्राप्त हुए । उसके बाद राजा मानसिंह खुद उड़ीसा गए, ओर पठानों ओर उनके सहयोगी हिन्दू राजाओ को कुचलकर रख दिया ।। उसके बाद पठान वर्तमान बंगाल की ओर भाग गए । जगन्नाथ मंदिर की रक्षा हिन्दू इतिहास का सबसे स्वर्णिम इतिहास है । यह हिंदुओ के सबसे प्रमुख मंदिरों में से एक है ।। राजा मानसिंह जी महान कृष्ण भक्त थे, उन्होंने वृंदावन में सात मंजिला कृष्णजी ( गोविन्ददेव जी ) का मंदिर बनाया ।। बनारस के घाट, पटना के घाट, ओर हरिद्वार के घाटों का निर्माण आमेर नरेश मानसिंहजी ने ही करवाया था । जितने मंदिर मध्यकाल से पूर्व धर्मान्ध मुसलमानो ने तोड़े थे, वह सारे मंदिर मानसिंहजी ने बना दिये थे, लेकिन औरंगजेब के समय मुगलो का अत्याचार बढ़ गया था , ओर हिन्दू मंदिरों का भारी नुकसान हो गया ।{{citation needed|name=राजा मानसिंह की महान विजये}}