"वाणिज्य": अवतरणों में अंतर

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{{व्यापार}}
[[धनप्राप्ति]] के उद्देश्य से वस्तुओं का क्रय-विक्रय करना ही '''वाणिज्य''' (कॉमर्स) है। किसी [[उत्पादन]] या [[व्यवसाय]] का वह भाग जो उत्पादित वस्तुओं एवं सेवाओं की उनके उत्पादकों एवं [[उपभोक्ता|उपभोक्ताओं]] के बीच [[विनिमय]] से सम्ब्न्ध रखता है, '''वाणिज्य''' कहलाता है। वाणिज्य के अन्तर्गत किसी आर्थिक महत्व की वस्तु, जैसे सामान, सेवा, सूचना या धन का दो या दो से अधिक व्यक्ति या संस्थाओं के बीच सौदा किया जाता है। वाणिज्य [[पूंजीवाद|पूंजीवादी अर्थव्यवस्था]] एवं कुछ अन्य अर्थव्यवस्थाओं का मुख्य वाहक है।
 
धन प्राप्त करने के उद्देश्य से किया गया कार्य वाणिज्य कहलाता है।
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== वाणिज्य के अंग ==
वाणिज्य के दो प्रधान अंग हैं - दूकानदारी और व्यापार। जब वस्तुओं का क्रयविक्रय किसी एक स्थान या दूकान से होता है, तब उस संबंध के सब कार्य दुकानदारी के अंदर आते हैं। जब वस्तुओं को एक स्थान से दूसरे स्थान भेजकर विक्रय किया जाता है, तब उस संबंध के सब कार्य व्यापार के अंदर समझे जाते हैं। [[आंतरिक व्यापार|देशी व्यापार]] में वस्तुओं का क्रयविक्रय एक ही देश के अंदर होता है। [[अंतर्राष्ट्रीय व्यापार|विदेशी व्यापार]] में वस्तुओं का क्रयविक्रय दूसरे देशों के साथ होता है। बड़े पैमाने पर दूर-दूर के देशों से व्यापार के लिए बड़ी पूँजी की आवश्यकता होती है जो सम्मिलित [[पूंजीवाद|पूँजीवादी]] कंपनियों और [[वाणिज्य बैंकों]] द्वारा प्राप्त होती है। संसार के भिन्न-भिन्न देशों में संसारव्यापी वाणिज्य में लगे हुए व्यक्तियों ने मिलकर प्रत्येक देश में [[वाणिज्य म्ण्डल|वाणिज्य मंडलों]] (Chambers of Commerce) की स्थापना कर ली है। इन मंडलों का प्रधान कार्य देश के वाणिज्य के हितों की सम्मिलित रूप से रक्षा करना और सरकार द्वारा रक्षा करना है। वाणिज्य संबंधी कार्यों का उचित रूप से नियंत्रण करने के लिए प्रत्येक देश की सरकार जो कानून बनाती हैं, वे वाणिज्य विधि कहलाते हैं।
 
वाणिज्य में सफलता प्राप्त करने के लिए वणिक् को विक्रय कला का व्यावहारिक ज्ञान होना आवश्यक है। उसे हिसाब रखने की पद्धति को भी ठीक तरह से जानना और उपयोग में लाना पड़ता है। अपने कार्यों की जोखिम कम करने के लिए उसे अपने माल का बीमा कराना होता है। इसलिए उसे इस विषय का ज्ञान भी प्राप्त करना पड़ता है। अपने व्यापार को दूर दूर तक देशों में फैलाने के लिए उसे पत्रव्यवहार और विज्ञापनकला का उचित उपयोग करना पड़ता है। वाणिज्य में स्वतंत्र बुद्धि और दृढ़ विश्वास की अत्यंत आवश्यकता है। ईमानदारी द्वारा ही वणिक अपने कार्य की प्रसिद्धि प्राप्त करता है। उसकी बात की सच्चाई उसकी साख को बढ़ाती है, जिससे वह आवश्यक पूँजी आसानी से प्राप्त कर लेता है।
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== भारत में वाणिज्य का इतिहास ==
भूत काल में, [[भारत]] भी वाणिज्य संबंधी कार्यों में बहुत प्रसिद्धि प्राप्त कर चुका है। प्राचीन आर्यों की आर्थिक व्यवस्था का पता वैदिक साहित्य से लगता है। [[वैदिक सभ्यता|वैदिक काल]] से ही द्रविड़ तथा [[आर्य]] लोगों ने मिस्र, असीरिया और बैबिलोन से व्यापारिक एवं सांस्कृतिक संबंध स्थापित किए। ईसामसीह के सैकड़ों वर्ष पूर्व से ही भारत में शिल्प और वाणिज्य का सर्वांगीण विकास हुआ। वणिकों के संघों का उल्लेख उस समय के साहित्य में मिलता है। उस समय के विदेशी यात्रियों ने यहाँ के उन्नत उद्योग धंधे और वाणिज्य की बड़ी प्रशंसा की है। भारत के करीब तीन हजार वर्षों तक समुद्र पर अपना प्रभुत्व जारी रखा और अपने व्यापार और वाणिज्य की खूब उन्नति की। वह सैकड़ों वर्षों तक संसार का नेता और वाणिज्य का केंद्र बना रहा। उस काल में भारतवासियों ने वाणिज्य में अपने लाभ के साथ ही साथ दूसरों को लाभ पहुँचाने का हमेशा ध्यान रखा है।
 
[[मुग़ल साम्राज्य|मुगल काल]] में भी भारत के गृह उद्योग उन्नत दशा में थे और एशिया, यूरोप और अफ्रीका के अनेक देशों में यहाँ से तैयार माल जाता था। संसार के कई देश तो केवल भारत के वस्त्रों पर ही निर्भर रहते थे। सूती, रेशमी तथा ऊनी वस्त्र तैयार करनेवाले भारतीय कारीगरों का कौशल संसार में दूर दूर तक फैल गया था। वस्त्रों के अतिरिक्त मोती, मूँगा, हाथीदाँत, मसाले, सुगांधित द्रव्य इत्यादि का भी खूब रोजगार होता था।
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* [http://indiacsr.in/ कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व] (कारपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व पर विश्व की सर्वप्रथम हिन्दी वेबसाइट)
* [http://www.nafanuksan.com/Default.aspx?Categoryid=98&Newstype=0 नफा नुकसान]
 
* [https://www.earningtarika.in/2020/02/low-investment-small-business-idea-hindi.html Small Business Ideas in Hindi]
== बाहरी कड़ियाँ ==
 
[[श्रेणी:व्यापार]]