"शिरडी साईं बाबा": अवतरणों में अंतर

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=== शिरडी में आगमन ===
 
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वैंकुशा की आज्ञा से सांईं बाबा घूमते-फिरते शिर्डी पहुंचे। तब शिर्डी गांव में कुल 450 परिवारों के घर रहे होंगे। वहां बाबा ने सबसे पहले खंडोबा मंदिर के दर्शन किए फिर वे वैकुंशा के बताए उस नीम के पेड़ के पास पहुंच गए। नीम के पेड़ के नीचे उसके आसपास एक चबूतरा बना था।
 
भिक्षा मांगने के बाद बाबा वहीं बैठे रहते थे। कुछ लोगों ने उत्सुकतावश पूछा कि आप यहां नीम के वृक्ष के नीचे ही क्यों रहते हैं? इस पर बाबा ने कहा कि यहां मेरे गुरु ने ध्यान किया था इसलिए मैं यहीं विश्राम करता हूं। कुछ लोगों ने उनकी इस बात का उपहास उड़ाया, तब बाबा ने कहा कि यदि उन्हें शक है तो वे इस स्थान पर खुदाई करें। ग्रामीणों ने उस स्थान पर खुदाई की, जहां उन्हें एक शिला के नीचे 4 दीप जलते हुए मिले।
 
 
; बाबा का शिर्डी में पुन: आगमन
 
तीन महीने बाद बाबा किसी को भी बताए बगैर शिर्डी छोड़कर चले गए। लोगों ने उन्हें बहुत ढूंढा लेकिन वे नहीं मिले। भारत के प्रमुख स्थानों का भ्रमण करने के 3 साल बाद सांईं बाबा चांद पाशा पाटिल (धूपखेड़ा के एक मुस्लिम जागीरदार) के साथ उनकी साली के निकाह के लिए बैलगाड़ी में बैठकर बाराती बनकर आए।
 
बारात जहां रुकी थी वहीं सामने खंडोबा का मंदिर था, जहां के पुजारी म्हालसापति थे। इस बार तरुण फकीर के वेश में बाबा को देखकर म्हालसापति ने कहा, 'आओ सांईं'। बस तभी से बाबा का नाम 'सांईं' पड़ गया। म्हालसापति को सांईं बाबा 'भगत' के नाम से पुकारते थे।
 
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=== साईं बाबा के १२ नाम ( मंत्र ) ===
ये है 12 मंत्र साईं नाम के...