"परमार भोज": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है
No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 1:
{{Infobox royalty
[[चित्र:Statue of Raja Bhoja 02.jpg|right|thumb|200px|राजा भोज की प्रतिमा ([[भोपाल]])]]
|name = चक्रवर्ती सम्राट राजा परमार भोज
'''राजा भोज''' परमार या पंवार वंश के नवें राजा थे। {{sfn|विजयेन्द्र कुमार माथुर|1990|p=३१९}} परमार वंशीय राजाओं ने [[मालवा]] की राजधानी धारानगरी ([[धार]]) से आठवीं शताब्दी से लेकर चौदहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध तक राज्य किया था। भोज ने बहुत से युद्ध किए और अपनी प्रतिष्ठा स्थापित की जिससे सिद्ध होता है कि उनमें असाधारण योग्यता थी। यद्यपि उनके जीवन का अधिकांश युद्धक्षेत्र में बीता तथापि उन्होंने अपने राज्य की उन्नति में किसी प्रकार की बाधा न उत्पन्न होने दी। उन्होंने मालवा के नगरों व ग्रामों में बहुत से [[मन्दिर|मंदिर]] बनवाए, यद्यपि उनमें से अब बहुत कम का पता चलता है।
|image= [[चित्र:Statue of Raja Bhoja 02.jpg|right|thumb|200px|राजा भोज की प्रतिमा ([[भोपाल]])120px]]
|caption = चक्रवर्ती सम्राट राजा परमार भोज
|succession=
|reign= सन् १०१०-१०५५ ई.
|coronation =
|predecessor = सिंधुराजा
|successor= जयसिंम्हा १
|birth_date= सन् १००० ई.
|birth_place= [[मालवा]]
|death_date= सन् १०५५ ई.
|death_place= [[धार]]
|spouse=
|father = सिंधुराजा
|religion=[[हिन्दू]]
}}
 
'''राजा भोज''' [[परमार]] या पंवार वंश के नवें राजा थे। {{sfn|विजयेन्द्र कुमार माथुर|1990|p=३१९}} परमार वंशीय राजाओं ने [[मालवा]] की राजधानी धारानगरी ([[धार]]) से आठवीं शताब्दी से लेकर चौदहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध तक राज्य किया था। भोज ने बहुत से युद्ध किए और अपनी प्रतिष्ठा स्थापित की जिससे सिद्ध होता है कि उनमें असाधारण योग्यता थी। यद्यपि उनके जीवन का अधिकांश युद्धक्षेत्र में बीता तथापि उन्होंने अपने राज्य की उन्नति में किसी प्रकार की बाधा न उत्पन्न होने दी। उन्होंने मालवा के नगरों व ग्रामों में बहुत से [[मन्दिर|मंदिर]] बनवाए, यद्यपि उनमें से अब बहुत कम का पता चलता है।
 
कहा जाता है कि वर्तमान [[मध्य प्रदेश|मध्यप्रदेश]] की राजधानी [[भोपाल]] को राजा भोज ने ही बसाया था , तब उसका नाम भोजपाल नगर था , जो कि कालान्तर में भूपाल और फिर भोपाल हो गया। राजा भोज ने भोजपाल नगर के पास ही एक समुद्र के समान विशाल तालाब का निर्माण कराया था, जो पूर्व और दक्षिण में भोजपुर के विशाल शिव मंदिर तक जाता था। आज भी भोजपुर जाते समय , रास्ते में शिवमंदिर के पास उस तालाब की पत्थरों की बनी विशाल पाल दिखती है। उस समय उस तालाब का पानी बहुत पवित्र और बीमारियों को ठीक करने वाला माना जाता था। कहा जाता है कि राजा भोज को चर्म रोग हो गया था तब किसी ऋषि या वैद्य ने उन्हें इस तालाब के पानी में स्नान करने और उसे पीने की सलाह दी थी जिससे उनका चर्मरोग ठीक हो गया था। उस विशाल तालाब के पानी से शिवमंदिर में स्थापित विशाल शिवलिंग का अभिषेक भी किया जाता था।