"शिरडी साईं बाबा": अवतरणों में अंतर

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=== बचपन एवं चाँद पाटिल का आश्रय ===
बाबा का लालन-पालन एक मुसलमान फकीर के द्वारा हुआ था, परंतु बचपन से ही उनका झुकाव विभिन्न धर्मों की ओर था लेकिन किसी एक धर्म के प्रति उनकी एकनिष्ठ आस्था नहीं थी। कभी वे हिन्दुओं के मंदिर में घुस जाते थे तो कभी मस्जिद में जाकर शिवलिंग की स्थापना करने लगते थे। इससे न तो गाँव के हिन्दू उनसे प्रसन्न थे और न मुसलमान। निरंतर उनकी शिकायतें आने के कारण उनको पालने वाले फकीर ने उन्हें अपने घर से निकाल दिया।<ref name="गुप्त3">''शिरडी साईं बाबा : दिव्य महिमा'', गणपति चन्द्र गुप्त, लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, तृतीय (पेपरबैक) संस्करण-2011, पृष्ठ-13.</ref> साईं के जितने वृत्तांत प्राप्त हैं वे सभी उनके किसी न किसी चमत्कार से जुड़े हुए हैं। ऐसे ही एक वृत्तांत के अनुसार औरंगाबाद जिले के धूप गाँव के एक धनाढ्य मुस्लिम सज्जन की खोयी घोड़ी बाबा के कथनानुसार मिल जाने से उन्होंने प्रभावित होकर बाबा को आश्रय दिया और कुछ समय तक बाबा वहीं रहे।<ref name="सच्चरित्र">''श्री साई सच्चरित्र'', श्री गोविंदराव रघुनाथ दाभोलकर (हेमाड़ पंत), हिन्दी अनुवाद- श्री शिवराम ठाकुर, श्री साईं बाबा संस्थान, शिरडी, १७वाँ संस्करण-१९९९, पृष्ठ-२०.</ref>
 
=== शिरडी में आगमन ===